अमित शाह को देश में अघोषित आपातकाल के बारे में बोलना चाहिए था : तेजस्वी यादव
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ‘‘जेपी की विचारधारा को भूलने’’ वाली टिप्पणी को लेकर बृहस्पतिवार को कहा कि शाह को देश में ‘‘अघोषित आपातकाल’’ के बारे में भी बोलना चाहिए था, जिसे केंद्र की भाजपा नीत सरकार ने लगा रखा है।
यादव ने आरोप लगाया कि देश लोकतंत्र के नाम पर तानाशाही देख रहा है।
यादव ने संवाददाताओं से कहा, 'शाह ने जो कुछ भी कहा वह सरासर बकवास था। भाजपा का जयप्रकाश नारायण (जेपी) या उनकी विचारधाराओं से कोई लेना-देना नहीं है। बीजेपी में लोग इवेंट मैनेज करना जानते हैं। उन्होंने जेपी की जयंती पर सिताब दियारा (सारण) में एक कार्यक्रम आयोजित किया और शाह इसमें शामिल हुए... शाह को केंद्र की राजग सरकार द्वारा देश में लगाए गए अघोषित आपातकाल के बारे में बोलना चाहिए था।’’
केंद्रीय गृह मंत्री ने 11 अक्टूबर को समाजवादी नेता के गांव का दौरा किया था और उनकी 120वीं जयंती पर उनकी प्रतिमा का उद्घाटन किया था।
उन्होंने कहा कि शाह को केंद्र में एनडीए सरकार द्वारा देश में लगाए गए "अघोषित आपातकाल" के बारे में बोलना चाहिए था, उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान शाह की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर चुटकी ली कि 'जेपी के शिष्यों ने सत्ता के लिए अपनी विचारधारा का बलिदान किया है। और अब कांग्रेस की गोद में बैठे हैं।
यादव ने कहा, "केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार एक तानाशाही सरकार है। लोकतंत्र कहां है?"।
जैसा कि प्रेस के कुछ वर्गों में बताया गया है, उन्होंने राजद के भीतर किसी भी तरह के मतभेद से इनकार किया।
जब पत्रकारों ने उनसे बिहार राजद अध्यक्ष जगदानंद सिंह के दिल्ली में पार्टी के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन से अनुपस्थित रहने का कारण पूछा, तो यादव ने कहा, “आप लोग जगदानंद सिंह जी के बारे में नहीं जानते हैं। वे पार्टी के सच्चे कार्यकर्ता और नेता हैं। पार्टी के भीतर कोई मतभेद नहीं हैं।"
यादव ने भाजपा के इस आरोप को 'निराधार' करार दिया कि बिहार सरकार उच्चतम न्यायालय के उस आदेश का पालन करने में विफल रही है जिसके कारण राज्य में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव टाले गए।
उन्होंने कहा, "पिछली सरकार में लंबे समय तक इस विभाग का प्रभार किसके पास रहा? भाजपा नेताओं को अपनी ही पार्टी के लोगों (सुशील मोदी, सुरेश शर्मा, तारकिशोर प्रसाद) से पूछना चाहिए, जिनके पास पिछली सरकार में यह विभाग था।"