विपक्षी एकजुटता की कवायद को मिली गति, मुलाकातों का सिलसिला जारी, खड़गे-राहुल गांधी से मिले शरद पवार
भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ विपक्षी एकजुटता की कवायद को गुरूवार को उस वक्त गति मिलती दिखी जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वामपंथी नेताओं सीताराम येचुरी और डी राजा के साथ मुलाकात की तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रमुख शरद पवार ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे एवं पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मंत्रणा की। वहीं, दूसरी तरफ, भारतीय जनता पार्टी ने विपक्षी नेताओं की मुलाकातों को लेकर तंज किया कि 2024 में प्रधानमंत्री पद के लिए खाली नहीं है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने अगले लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकजुटता के प्रयासों के बीच गुरूवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से चर्चा की तथा विपक्ष के दलों को एक मंच पर लाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। पवार ने तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे दलों को साथ लेने पर भी जोर दिया।
इस बैठक के बाद खड़गे, पवार और राहुल तीनों नेताओं ने कहा कि विपक्षी दलों को एकजुट करने की जरूरत है और सभी लोग इसको लेकर प्रतिबद्ध हैं। यह बैठक खरगे के आवास 10 राजाजी मार्ग (नयी दिल्ली) पर हुई।
खड़गे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कल नीतीश जी, तेजस्वी ने बात की थी…सभी लोकतंत्र, संविधान और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बचाने के लिए और महंगाई एवं युवाओं के लिए मिलकर काम करेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पवार साहब का कहना है कि सबसे मिलकर बात करेंगे और सब एक होने की कोशिश करेंगे। हम सब मिलकर काम करें, देशहित में काम करें।’’
बाद में खड़गे ने ट्वीट किया, ‘‘एकसाथ और मजबूत हैं। हम जनता के बेहतर, उज्ज्वल और साझा भविष्य के लिए एकजुट हैं। राहुल गांधी जी और शरद पवार जी के साथ आगे के कदमों पर चर्चा हुई।’’
पवार ने कहा, ‘‘हमारी सोच भी वही है जो खड़गे जी ने कहा है। परंतु सिर्फ सोच से मदद नहीं मिलेगी। एक प्रक्रिया शुरू करने की जरूरत है। यह सिर्फ शुरुआत है। इसके बाद ममता बनर्जी (टीएमसी) अरविंद केजरीवाल (आप) और अन्य दलों के साथ बातचीत करनी है ताकि इस प्रक्रिया में उन्हें शामिल किया जा सके।’’ पवार ने कहा कि विपक्षी दलों को साथ लाने का प्रयास किया जाएगा।
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘यह प्रक्रिया आरंभ हुई है। हम सब पार्टियां इस प्रक्रिया को आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’ बैठक में कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल भी मौजूद थे।
राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण यह बैठक उस समय हुई है जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर सबको एक मंच पर लाने का प्रयास कर रहे हैं।
यह मुलाकात इस संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है कि हाल ही में शरद पवार ने अडाणी मामले पर कांग्रेस से अलग रुख जाहिर किया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री पवार ने पिछले दिनों कहा था कि अडाणी मामले में संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया जाता है तो केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संसद में संख्या बल को देखते हुए उसमें (समिति में) उसका बहुमत होगा और इससे इस तरह की जांच के परिणाम पर संदेह उत्पन्न होगा।
11 अप्रैल को ही उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी अडाणी समूह के खिलाफ आरोपों की जेपीसी से जांच कराने की भाजपा विरोधी पार्टियों की मांग से हालांकि सहमत नहीं है, लेकिन वह विपक्षी दलों की एकता की खातिर उनके रुख के खिलाफ नहीं जाएगी।
जनता दल (यूनाइटेड) के शीर्ष नेता नीतीश कुमार ने बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी। इन बैठकों में यह तय किया गया कि अधिक से अधिक विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने के साथ साथ देश के लिए ‘विपक्ष का दृष्टिकोण’ सामने रखा जाएगा।
नीतीश ने बृहस्पतिवार को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा से भी मुलाकात की।
इन बैठकों से कुछ दिनों पहले ही, खरगे ने नीतीश कुमार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन और शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे से फोन पर बात की थी।
नीतीश कुमार अतीत में कई बार कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों को 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए हाथ मिलाने की सलाह दे चुके हैं। इसी साल फरवरी में कुमार ने इस बात पर जोर दिया था कि यदि कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल 2024 का लोकसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ते हैं, तो भाजपा 100 से कम सीटों पर सिमट जाएगी।