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06 April 2019

पटना साहिब से शत्रुघ्न सिन्हा बनाम रविशंकर प्रसाद की लड़ाई के पीछे क्या है गणित

File Photo

'बिहारी बाबू' से लेकर 'शॉटगन' के नाम से मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस के पाले में आ गए हैं। वह पटना साहिब से चुनाव लड़ेंगे। उनके सामने भाजपा उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद होंगे। 2014 के बाद से भाजपा के साथ उनकी नाराजगी का अपना इतिहास है। उन्होंने कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला और केसी वेणुगोपाल की मौजूदगी में पार्टी का दामन थामा। इस मौके पर उन्होंने कहा कि आज भाजपा के स्थापना दिवस पर मैंने अपनी पुरानी पार्टी छोड़ दी है।

शत्रुघ्न सिन्हा का सफर

शत्रुघ्न सिन्हा की राजनीति में एंट्री 1992 में नई दिल्ली के लोकसभा उपचुनाव से हुई थी। यह सीट लाल कृष्ण आडवाणी ने छोड़ दी थी क्योंकि 1991 के चुनाव में वह नई दिल्ली के साथ गुजरात के गांधीनगर से भी जीते थे और उन्होंने गांधीनगर चुना था। शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस के राजेश खन्ना के सामने थे। राजेश खन्ना यह चुनाव 25,000 से कुछ ज्यादा वोटों के अंतर से जीते थे। उन्हें 1,01,625 वोट मिले थे और शत्रुघ्न सिन्हा को 73,369 वोट मिले थे। हालांकि आडवाणी की सीट से लड़ने की वजह से शत्रुघ्न सिन्हा का कद पार्टी में बढ़ा। उन्हें आडवाणी-वाजपेयी खेमे का ही माना जाता है। वह वाजपेयी सरकार में मंत्री भी रहे। वह दो बार पटना साहिब से सांसद रहे हैं। 2014 में उनकी जीत के बाद उन्हें मंत्री पद नहीं दिया गया था, जिसके बाद पार्टी से उनकी अनबन शुरू हो गई थी। वह सांसद रहते हुए अलग-अलग फोरम पर पार्टी के खिलाफ बोलने लगे लेकिन पार्टी ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। आखिर में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को टिकट दिया। अब रविशंकर प्रसाद के सामने शत्रुघ्न सिन्हा मैदान में होंगे। एक बार सिन्हा ने कहा भी था- सिचुएशन जो भी हो, लोकेशन वही रहेगी।

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क्यों खास है पटना साहिब का मुकाबला

पटना साहिब सीट के राजनीतिक-सामाजिक समीकरण की बात करें तो भाजपा और कांग्रेस ने यहां जातीय गणित बिठाने की कोशिश की है। असल में पटना साहिब कायस्थ बाहुल्य सीट है। इससे पहले भाजपा के राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा (जो खुद कायस्थ हैं) भी यहां से टिकट मांग रहे थे लेकिन जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो पटना एयरपोर्ट पर रविशंकर प्रसाद और आरके सिन्हा के समर्थक आपस में भिड़ गए थे और हाथापाई की नौबत आ गई थी। अब शत्रुघ्न सिन्हा और रविशंकर प्रसाद के बीच मुकाबला ‘कायस्थ बनाम कायस्थ’ का मुकाबला माना जाएगा।

पटना साहिब में वोट का गणित

पटना साहिब की कुल आबादी 25,74,108 है, जिसमें 26.63 फीसदी आबादी गांव में और 73.37 फीसदी आबादी शहर में रहती है। यहां कुल मतदाता 19,46,249 हैं, जिनमें 10,52,278 पुरुष हैं और 8,93,971 महिलाएं हैं। सवर्ण आबादी 28 फीसदी के आस-पास हैं। अनुसूचित जाति 6.12 फीसदी है जबकि अनुसूचित जनजाति की संख्या 0.02 फीसदी है। पटना साहिब में सवर्ण मतदाताओं की संख्या काफी है और यहां भाजपा मजबूत रही है।

2014 में पटना साहिब में भाजपा का वोट शेयर करीब 55 फीसदी था और कांग्रेस का करीब 25 फीसदी। जेडीयू का वोट शेयर 10 फीसदी था। तब ‘मोदी लहर’ को एक अहम फैक्टर माना जा रहा था और कहा गया था कि सवर्ण वोट काफी मात्रा में भाजपा के पक्ष में आया है लेकिन इस बार वैसी स्थिति नहीं है। इस बार भाजपा का पारंपरिक वोट बैंक बंट सकता है। माना यह भी जा रहा है कि रविशंकर प्रसाद को कड़ी टक्कर मिल सकती है। एक बात जो उनके विपक्ष में जाती है वह यह कि उन्होंने आज तक नगर पालिका स्तर का भी चुनाव नहीं लड़ा है। वह चार बार से राज्य सभा सदस्य रहे हैं। एकमात्र प्रत्यक्ष चुनाव उन्होंने यूनिवर्सिटी स्तर पर ही जीता है, जब वह पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ के सेक्रेटरी बने थे। जबकि शत्रुघ्न सिन्हा फिल्म अभिनेता होने की वजह से भी लोकप्रिय रहे हैं। कायस्थ समीकरण की वजह से ही 2009 में कांग्रेस के टिकट पर अभिनेता शेखर सुमन ने चुनाव लड़ा था लेकिन हारने के बाद वह फिर से टेलीविजन की तरफ लौट गए थे।

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TAGS: Partna sahib, bihar, ravi shankar prasad, shatrughan sinha, bjp, congress, lok sabha elections
OUTLOOK 06 April, 2019
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