सीताराम येचुरी बने माकपा के महासचिव
लगातार कमजोर होती जा रहे वामदलों में माकपा को भी इस बात के लिए सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि आखिर जनता के बीच कैसे मजबूत पकड़ बने। ऐसे समय में येचुरी के लिए भी बड़ी चुनौती मानी जा रही है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि येचुरी युवाओं के बीच लोकप्रिय हैं लेकिन यह लोकप्रियता उन्हें मौजूदा हालात में मजबूती प्रदान कर पाएगी, इसमें थोड़ा संशय है। महासचिव चुने जाने के बाद माकपा बैठक को संबोधित करते हुए येचुरी ने कहा कि यह भविष्य का सम्मेलन है, हमारी पार्टी के भविष्य का और देश के भविष्य का। 62 वर्षीय माकपा नेता ने कहा, हमारा काम वाम और लोकतांत्रिक ताकतों को मजबूत करना है। इस सम्मेलन का सुस्पष्ट निष्कर्ष है कि दुनिया में पूंजीवाद संकट गहराता जा रहा है। समाजवाद के लिए संघर्ष बढ़ाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। मानव सभ्यता का कोई भविष्य है तो वह भविष्य समाजवाद में है। निवर्तमान महासचिव प्रकाश करात ने पद के लिए येचुरी के नाम का प्रस्ताव दिया और एस रामचंद्रण पिल्लई ने इसका अनुमोदन किया। अपने चुनाव के पहले, येचुरी महासचिव पद की दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे थे। पिल्लई ने कल उन खबरों को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि माकपा के शीर्ष पद की दौड़ में वह भी हैं। उन्होंने कहा था कि पार्टी पद के लिए उम्मीदवार का फैसला करेगी।