छोटी-छोटी घटनाएं होती रहती हैं लेकिन देश एकजुट रहेगा: भागवत
दशहरा के मौके पर संघ प्रमुख के संबोधन का लगातार दूसरे साल दूरदर्शन ने सीधा प्रसारण किया। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और सीएम देवेंद्र फडणवीस भी खाकी पैंट और काली टोपी में मंच पर नजर आए।
नागपुर में अपने वार्षिक संबोधन में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा, छोटी-छोटी घटनाएं होती हैं। उन्हें बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है...छोटी-छोटी घटनाएं होती रहती हैं लेकिन ये भारतीय संस्कृति, हिंदू संस्कृति को विकृत नहीं कर सकती। हमारा देश एकजुट रहा है और एकजुट रहेगा। संघ पिछले 90 साल से देश को हिंदुत्व के आधार पर एकजुट रखने के लिए काम करता आ रहा है।
मोदी सरकार ने दूर किया निराशा का माहौल
अपने भाषण में भागवत ने विश्व मंच पर भारत को प्रतिष्ठा दिलाने और देश को निराशा के माहौल से निकालने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की सराहना भी की। संघ प्रमुख ने कहा, दो साल पहले निराशा का माहौल था। अब हमें चिंता नहीं है। अब उम्मीद और विश्वास का माहौल पैदा हुआ है। उन्होंने जनधन, स्वच्छ भारत और मुद्रा बैंक योजनाओं की शुरुआत और गैस सब्सिडी छोड़ने को एक अच्छा शगुन बताया। उन्होंने कहा, हालांकि अर्थव्यवस्था को रसातल से निकाल कर लाने में कुछ समय लगता है।
जनसंख्या नियत्रंण की समान नीति का समर्थन
कई हिंदुत्ववादी तत्वों द्वारा मुस्लिम आबादी पर नियंत्रण लगाने की मांग के बीच भागवत ने किसी समुदाय का नाम लिए बिना एकसमान जनसंख्या नीति का समर्थन किया है। उन्होंने इस बात पर खेद जताया कि जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए देश में कोई समग्र विचार विमर्श नहीं हुआ। भागवत ने कहा, आबादी बढ़ने के साथ देश पर बोझ बढ़ेगा। जनसंख्या में वृद्धि एक दौलत भी है। यदि हमें अधिक लोगों का पेट भरना पड़ेगा तो हमारे पास काम करने के लिए भी ज्यादा हाथ होंगे। इसलिए हमें 50 सालों के लिए योजना बनानी होगी कि कैसे लोगों को शिक्षा और स्वास्थ्य उपलब्ध कराए जाए।
शंकराचार्य और भगवान से अंबेडकर की तुलना
आरक्षण की समीक्षा को लेकर दिए बयान के बिहार चुनाव में बड़ा मुद्दा बनने के बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने उस नुकसान की आज भरपाई करने की पूरी कोशिश की है। अपने 55 मिनट के संबोधन की शुरूआत में डॉ. बीआर अंबेडकर का जिक्र करते भागवत ने कहा कि अंबेडकर में शंकराचार्य और भगवान बुद्ध के गुण थे। सामाजिक और आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए संविधान में प्रावधान करने का श्रेय भी उन्होंने बाबा साहब को दिया।
शिक्षा को सस्ता बनाने की जरूरत
शिक्षा व्यवस्था के भगवाकरण के प्रयास के आरोपों के बीच भागवत ने कहा कि आम आदमी के लिए शिक्षा को सस्ता बनाने के लिए इस क्षेत्र में सुधार की जरूरत है। शिक्षा का व्यावसायिकरण हर हालत में रूकना चाहिए। मौजूदा समय में एक आम आदमी कई कोर्सों को करने के बारे में सपना भी नहीं देख सकता। देश एेसी शिक्षा के साथ तरक्की नहीं कर सकता जो केवल पेट भरने में मदद करे। यह सामाजिक जरूरतों पर आधारित होनी चाहिए, इसमें मूल्यों का समावेश और अंतर्विवेकशीलता होनी चाहिए।
संघ प्रमुख मोहन भागवत का पूरा भाषण यहां पढ़ा जा सकता है
http://samvada.org/2015/news/mohan-bhagwats-rssvijayadashami-speech-2015/