सोनिया गांधी के आवास पर रणनीति बनाने को लेकर जुटे विपक्षी नेता, इन मुद्दों पर हुई चर्चा
विपक्षी एकता को मज़बूत करने को लेकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर विपक्षी दलों के बड़े नेताओं की बैठक हुई। सूत्रों के मुताबिक बैठक में अन्य कई मुद्दों के अलावा सांसदों के निलंबन के मुद्दे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को समझाने को लेकर भी चर्चा हुई। संसद के शीतकालीन सत्र की शेष अवधि से 12 सांसदों के निलंबन के मुद्दे पर अब तक केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्ष की एकजुटता सामने आई है।
सूत्र बताते हैं कि निलंबन के मामले में शरद पवार से राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू से मामले में आगे का रास्ता तलाशने के लिए बात करने को कहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस मामले में रणनीति बनाने के लिए चर्चा की। बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि अपने राज्य के मजबूत प्रादेशिक दल अपने-अपने राज्यों में विपक्ष के तौर पर मजबूती से सामने आएं। इसको लेकर साझा रणनीति बनाने पर भी चर्चा हुई।
बैठक के बाद संजय राउत ने बताया कि हमारा मुख्य एजेंडा राज्यबद्ध तरीके से विपक्ष की एकजुटता था। यह पहली बैठक थी, हम कल बुधवार फिर मिलेंगे, शरद पवार भी इसमें मौजूद रहेंगे। वहीं, राज्यसभा से 12 सांसदों के निलंबन को लेकर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी की माफी की मांग पर संजय राउत ने कहा, 'कोई माफी नहीं, कोई खेद नहीं, हम लड़ेंगे।'
बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, एनसीपी के नेता शरद पवार, शिवसेना नेता संजय राउत,; डीएमके के टीआर बालू, वाम दलों के नेता सीताराम येचुरी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला शामिल हुए। वहीं, तृणमूल कांग्रेस, जिसका से कांग्रेस टकराव के चलते बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया।
बता दें कि सांसदों का निलंबन, संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध का अहम कारण रहा है और इसके कारण दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित हुई है। . इससे पहले, आज ही मीडिया से बातचीत के दौरान विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार इस मसले पर विपक्ष की आवाज नहीं सुन रही है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा था, 'यह व्यक्तिगत प्रतिष्ठा की नहीं, संसदीय गरिमा की लड़ाई है। ये सिर्फ निलंबन वापसी की लड़ाई नहीं है बल्कि संसदीय लोकतंत्र की बहाली की लड़ाई है।' डीएमके सांसद त्रिची शिवा ने कहा, 'सरकार मुद्दों पर डिबेट नहीं होने दे रही. तीन-चार मुद्दे हैं जिनका नाम भी नहीं लेने दे रह।. पीएम खुद सदन में नहीं आते। सरकार विपक्ष का दबाकर और डराकर रखना चाहती है।