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29 June 2015

ललितगेट से जुड़ी जानकारी देने से विदेश मंत्रालय का इन्‍कार

नई दिल्‍ली। सूचना के अधिकार कानून के तहत जानकारी मांगी गई थी कि मोदी का पासपोर्ट बहाल करने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील नहीं करने का फैसला किसका था। इसके अलावा ललितगेट से जुड़े सात सवाल पर भी विदेश मंत्रालय से जानकारी मांगी गई थी। जवाब में विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इस आरटीअाई का एक हिस्सा तो कानून के दायरे में नहीं आता जबकि दूसरे हिस्से के सवालों के बारे में उसके पास जानकारी नहीं है। कांग्रेस और वाम दलों ने केंद्र सरकार के इस रुख की कड़ी आलोचना की है। 

विदेश मंत्रालय ने हरियाणा के रायो नाम के आवदेक को 26 जून के अपने जवाब में कहा कि कृपया ध्यान दें कि विदेश मंत्री के कार्यालय ने जानकारी दी है कि आपकी आरटीआई में क्रम संख्या एक से तीन तक के सवाल आरटीआई कानून 2005 के दायरे में नहीं आते हैं। क्रम संख्या चार से सात तक के प्रश्नों के बारे में विदेश मंत्री कार्यालय के पास कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि, मंत्रालय ने कहा है कि यह आवेदन उसके महावाणिज्यदूत, पासपोर्ट और वीजा संभाग तथा वित्त एवं गृह मंत्राालय के पास भेजा गया है। 

 

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मोदी सरकार पर विपक्ष का हमल

विदेश मंत्रालय के इस कदम की विपक्ष ने कड़ी आलोचना की। कांग्रेस ने इसे आरटीआई कानून की भावना के विरूद्ध बताया जबकि माकपा ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने इस कानून को ध्वस्त कर दिया। कांग्रेसी नेता पीसी चाको ने कहा, यह आरटीआई कानून की भावना के खिलाफ है। माकपा नेता बृंदा करात ने कहा कि यह अवरोध पैदा करने से अधिक का मामला है।

भाजपा ने हालांकि विदेश मंत्राालय के कदम का सावधानीपूर्वक बचाव किया है। पार्टी प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा, आरटीआई को लेकर एक प्रक्रिया है और इसके बारे में कुछ नियम हैं और इन नियमों का पालन करना होता है। अगर यह किसी विशेष बात को लेकर है तो संबंधित अधिकारी ही बता पाएंगे।

 

क्‍या थे सवाल 

आरटीआई के तहत शुरूआती तीन प्रश्नों में पूछा गया कि अगर सुषमा ललित को पुर्तगाल जाने में मानवीय आधार पर मदद करना चाहती थीं तो उन्हेांने ललित को भारतीय उच्चायोग में अस्थायी यात्राा दस्तावेज के लिए आवेदन करने की सलाह क्यों नहीं दी? आवेदन में यह भी पूछा गया कि विदेश मंत्री ने ललित को अस्थायी भारतीय यात्राा दस्तावेज जारी करने के बदले उनकी भारत वापसी की शर्त पर जोर क्यों नहीं दिया?

प्रश्न संख्या चार से सात तक पूछा गया कि क्या सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय के सामने हाजिर होने से इंकार करने वाले ललित को रहने की अनुमति देने के लिए ब्रिटेन के सामने कोई आपत्ति जताई या नहीं? आरटीआई आवेदन में ललित के इस आरोप पर सरकार का जवाब पूछा कि अगर वह भारत लौटे तो उनकी जिंदगी खतरे में होगी।

 

 

 

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TAGS: sushmas Swaraj, Ministry of External affairs, RTI, Lalit Modi, ललित मोदी, सुषमा स्‍वराज. आरटीआई, विदेश मंत्रालय
OUTLOOK 29 June, 2015
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