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13 August 2025

तेजस्वी यादव का आरोप: बिहार में भाजपा नेताओं को मिल रहे दो-दो ईपीआईसी नंबर

राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने बुधवार को आरोप लगाया कि भारत का चुनाव आयोग भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर बिहार में मतदाता सूची में हेरफेर करने के लिए अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को दो मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) नंबर जारी कर रहा है।

पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए यादव ने कहा, "पहले हमने बिहार के उप-मुख्यमंत्री विजय सिन्हा के बारे में बात की थी। अब आप इसे अपराध कहें, भूल कहें या पर्दाफ़ाश, हमने पहले भी कहा था, लेकिन आज मैं आपको बताना चाहता हूँ कि चुनाव आयोग भाजपा की मदद कर रहा है और विपक्ष के वोट काट रहा है। भाजपा के लोगों को एक ही विधानसभा में एक नहीं, बल्कि दो-दो ईपीआईसी नंबर दिए जा रहे हैं।"

उन्होंने कहा, "हम एक और बात उजागर कर रहे हैं। मुजफ्फरपुर की मेयर और भाजपा नेता निर्मला देवी के पास एक ही विधानसभा में दो ईपीआईसी आईडी हैं। वह भी अलग-अलग हैं। इतना ही नहीं, निर्मला देवी के दो देवर हैं, उनके पास भी दो ईपीआईसी नंबर हैं।"

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राजद नेता ने आरोप लगाया कि विधानसभा चुनाव से पहले विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान बिहार की मतदाता सूची में अन्य राज्यों के लोगों के नाम जोड़े जा रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘अब गुजरात के लोग बिहार के मतदाता बन रहे हैं।

भाजपा के प्रभारी भीखूभाई दलसानिया पटना के मतदाता बन गए हैं। उन्होंने अपना आखिरी वोट 2024 में गुजरात में डाला था, लेकिन वे अब भी पटना के मतदाता हैं। गुजरात में उनका नाम कट गया था, लेकिन गौर करने वाली बात है कि पाँच साल भी नहीं हुए और आप जगह बदलकर वोट देने लगे। बिहार चुनाव खत्म होने के बाद नाम कटवाकर वे कहाँ जाएँगे? यादव ने आरोप लगाया।

उन्होंने दावा किया कि पहले के चुनावों में भाजपा ने विपक्ष के खिलाफ सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल किया था, लेकिन जब ये तरीके कम प्रभावी होने लगे, तो चुनाव आयोग को "आगे लाया गया।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 2020 के बिहार चुनाव में "वोट चोरी" हुई।

यादव ने दावा किया, "पहले भाजपा के पास चुनाव जीतने का एक फार्मूला था, सीबीआई, ईडी, आयकर का इस्तेमाल (विपक्ष पर) किया जाता था, जब ये एजेंसियां बेकार हो गईं, तो चुनाव आयोग को आगे लाया गया। चुनाव आयोग ने 2020 (बिहार विधानसभा चुनाव) में भी वोट चोरी, वोट डकैती की। हमारे (विपक्ष और सत्तारूढ़ गठबंधन) वोट का अंतर सिर्फ 12 हजार (वोट) था और इसमें हमें 10 से अधिक सीटें गंवानी पड़ीं।"

चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, "किसी को 12 वोट, 50 या 500 वोट मिले, इस तरह से हमारी कई सीटें हारी गईं। चंडीगढ़ में भी आपने देखा होगा कि उन्होंने कैसे किया, दिनदहाड़े उन्होंने ऐसा किया। अब वहां सीसीटीवी था, तो वे पकड़े गए, इसीलिए चुनाव आयोग ने सीसीटीवी ही हटा दिया। देखिए वे कितने निष्पक्ष हैं।"

यादव ने चल रहे एसआईआर के बारे में मीडिया को संबोधित नहीं करने के लिए चुनाव आयोग की भी आलोचना की और कहा, "वोटों की डकैती होती रही है, लेकिन अब जब सच्चाई सामने आ गई है, तो भाजपा की बोलती बंद है। आज तक चुनाव आयोग ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की, ऐसा अब तक नहीं हुआ।"

इससे पहले, 10 अगस्त को बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा था कि वह दो ईपीआईसी नंबर रखने के आरोपों के संबंध में उन्हें जारी नोटिस का जवाब देंगे।

सिन्हा ने कहा, "मैं संवैधानिक संस्था के नोटिस का जवाब अवश्य दूंगा। मैं संवैधानिक संस्था का सम्मान करता हूं और संविधान में मेरी आस्था है।"

पटना के जिला मजिस्ट्रेट और बांकीपुर निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी ने आरोपों पर सिन्हा को नोटिस जारी किया है, ईआरओ ने 14 अगस्त तक जवाब देने को कहा है।

आरोपों का जवाब देते हुए सिन्हा ने कहा, "हमारे पूरे परिवार के पास बांकीपुर के मतदाता पहचान पत्र थे। अप्रैल 2024 में, मैंने लखीसराय निर्वाचन क्षेत्र में अपना नाम जोड़ने और बांकीपुर से इसे हटाने के लिए आवेदन किया। यह तुरंत नहीं हुआ, इसलिए मैंने बीएलओ को बुलाया, फॉर्म भरा और रसीद ली। मेरे पास सभी दस्तावेज हैं। मैंने पिछली बार भी केवल एक जगह से वोट दिया था; वह लखीसराय में था।"

उन्होंने बताया कि बांकीपुर प्रविष्टि के लिए उनका विलोपन फॉर्म अस्वीकार कर दिया गया।

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TAGS: Rashtriya Janata Dal RJD, tejashwi yadav, bihar election, bjp government
OUTLOOK 13 August, 2025
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