नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर जंग जारी, "विपक्ष की बातें लोकतंत्र को कमजोर करने वाली?"
नए संसद भवन के उद्घाटन में अभी कुछ दिन बाकी जरूर हैं। लेकिन इसे लेकर घमासान अभी से शुरू हो गया है। विपक्ष का मानना है कि 28 मई को संसद भवन के उद्घाटन का कार्य प्रधानमंत्री मोदी नहीं बल्कि राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू द्वारा किया जाना चाहिए। इसे लेकर सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी दलों में जंग छिड़ गई है। कुल 21 दलों ने समारोह के बहिष्कार का निर्णय लिया है।
• केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, " यह लोकतंत्र का मंदिर है। यहां तक कि प्रधानमंत्री तक ने संसद में हमेशा झुककर प्रवेश किया। इसलिए मैं विपक्ष से अनुरोध करती हूं कि वे अपने निर्णय पर पुनः विचार करें और इस ऐतिहासिक समारोह का हिस्सा बनें।"
• उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, "इस ऐतिहासिक अवसर को गर्व का पल बनाने के बजाय कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष द्वारा ऐसी बयानबाजी करना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और गैर जिम्मेदाराना है। ऐसी बातें लोकतंत्र को कमजोर करती हैं। देश इस तरह जा व्यवहार किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा।"
• केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पूरी ने कहा, "मुझे कांग्रेस के साथ समझदारी वाले संवाद करना मुश्किल लगता है। वे हमसे मुलाकात करने पर एक बात कहते हैं और जब जनता के सामने बोलते हैं तो कुछ और कहते हैं। मुझे लगता है कि वे धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से सुनिश्चित कर रहे हैं कि वे गुमनामी में खो जाएंगे। "
• महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "ऐसा कहा जा रहा है कि राष्ट्रपति को नए संसद भवन का उद्घाटन करना चाहिए, तो यह तब क्यों नहीं आया जब इंदिरा गांधी ने संसद एनेक्सी का उद्घाटन किया?"
" बिफर पड़ा विपक्ष "
• समाजवादी पार्टी से सांसद राम गोपाल यादव ने कहा, "विपक्ष जो कह रहा है सही कह रहा है। संविधान के अनुसार संसद, लोकसभा और राज्याभा का अर्थ राष्ट्रपति से है। यदि नए संसद भवन का उद्घाटन ही राष्ट्रपति द्वारा नहीं किया जाता तो संसद का मूल अर्थ ही पूर्ण नहीं है। और अगर उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया है तो ये निश्चित ही एक गलत संदेश है।"
• एनसी से सांसद हसनैन मसूदी ने कहा, "हम इस समारोह में भाग नहीं लेंगे। यह बहुत गलत है कि राष्ट्रपति जी को नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं किया गया। राष्ट्रपति के पास इसका अधिकार है।"
• कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, " राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा रांची में झारखंड उच्च न्यायालय परिसर में देश के सबसे बड़े न्यायिक परिसर का उद्घाटन किया गया। ऐसे में देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति को 28 मई को नई दिल्ली में नए संसद भवन का उद्घाटन करने के संवैधानिक विशेषाधिकार से वंचित करना एक व्यक्ति का अहंकार और आत्म-प्रचार की इच्छा को दर्शाता है।"
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने वालों में कांग्रेस के अलावा एआईयूडीएफ, डीएमके, आम आदमी पार्टी, शिवसेना (यूबीटी), समाजवादी पार्टी, टीएमसी, जनता दल (यूनाइटेड), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), राजद आदि कुल मिलाकर 19 दल शामिल हैं।