जेएनयू छात्रों के पुलिस से भिड़ंत पर येचुरी ने कहा- यह मोदी का आपातकाल
माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने सोमवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों के विरोध प्रदर्शन पर पुलिस की कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि यह लोकतांत्रिक विरोध से निपटने का सही तरीका नहीं है। येचुरी ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "यह मोदी का आपातकाल है। विरोध प्रदर्शन के दौरान मौजूद पुलिस कर्मियों की संख्या आपातकाल के दौरान की तुलना में अधिक है। यह लोकतांत्रिक विरोध से निपटने का सही तरीका नहीं है। मोदी सरकार छात्रों को भड़काने की कोशिश कर रही है।"
'शांतिपूर्ण प्रदर्शन लोकतांत्रिक अधिकार है'
आपातकाल के दौरान जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष रहे येचुरी ने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन एक लोकतांत्रिक समाज में एक लोकतांत्रिक अधिकार था। उन्होंने कहा कि छात्रों की पिटाई "सरकार के चरम अधिनायकवाद" को दर्शाता है। माकपा नेता ने कहा कि छात्रों बिना किसी हिंसा के मार्च निकाला गया। छात्र संयम दिखा रहे हैं लेकिन पुलिस उन्हें उकसा रही है
गरीब छात्रों को भुगतना पड़ेगा खामियाजाः बसपा
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद दानिश अली ने संसद में जेएनयू फीस में बढ़ोतरी के फैसले को निंदनीय करार दिया। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के इच्छुक गरीब छात्रों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि यह उन मेधावी गरीब छात्रों के भविष्य की राह में रोड़ा बनेगा, जो जेएनयू जैसे संस्थान से अपनी उच्च शिक्षा पूरी करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “जेएनयू में छात्रावास शुल्क बढ़ाना निंदनीय है।”
फीस बढ़ोतरी के विरोध में छात्र कर रहे हैं आंदोलन
बढ़ी हुई फीस पूरी तरह वापस लेने की मांग के साथ जेएनयू के छात्र आज संसद तक पैदल मार्च निकाल रहे हैं। शुरुआत में ही छात्रों को पुलिस ने रोक लिया था। छात्रों को संसद तक नहीं पहुंचने देने के लिए पूरी पुलिस फोर्स तैनात है। संसद और जेएनयू के आसपास धारा 144 लगा दी गई है। वहीं, केंद्र सरकार ने जेएनयू में छात्रावास मैनुअल और फीस बढ़ोत्तरी सहित विभिन्न मांगों को प्रदर्शन कर रहे छात्रों से बातचीत के लिए एक तीन सदस्यीय उच्च अधिकार प्राप्त समिति गठित की है।