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19 September 2019

यूपी में भाजपा सरकार के ढाई साल पूरे, कानून व्यवस्था से लेकर किसानों की हालत पर उठे सवाल

उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार को सत्ता में आए हुए आज ढाई साल पूरे हो गए हैं। बड़ी बात यह है कि जिन मुद्दों को लेकर ढाई साल पहले भाजपा विधानसभा चुनाव के पहले जनता के बीच गई थी, उन्हीं मुद्दों को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है। विपक्ष का कहना है कि यह बिना नतीजे वाली सरकार है। लोगों को धोखा मिला। कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो सरकार के ढाई साल बीतने के बावजूद सूबे की हालत में जिस बदलाव की उम्मीद थी, वह पूरी नहीं हो पाई है। हालांकि सरकार का दावा है कि सूबे को लेकर लोगों की विचारधारा में परिवर्तन आया है।

सूबे में सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार, लचर कानून व्यवस्था, रोजगार, किसानों की बदहाली, मॉब लिंचिंग, गांवों में घूमते आवारा पशु और जानलेवा सड़कें लोगों के जी का जंजाल बन गई हैं। ढाई साल का कार्यकाल पूरा करने पर सरकार भले ही अपनी पीठ थपथपाए, लेकिन केंद्र सरकार की योजनाओं को अगर छोड़ दिया जाए, तो प्रदेश सरकार की शायद ही ऐसी कोई योजना होगी, जो धरातल पर उतर पाई हो।

योजनाओं से कितना कायाकल्प?

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प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) को ही अगर लें, तो विभाग के पास प्रदेश में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है कि इस योजना से किसी जिले के उद्यमियों का कायाकल्प हुआ हो। हालांकि प्रदेश के लगभग सभी जिलों में परंपरागत रूप से पहले भी बनते थे और अब भी बनते हैं। इस बारे में एमएसएमई के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने ‘आउटलुक’ को बताया कि जल्द ही उद्यमियों को ओडीओपी सहित अन्य योजनाओं का लाभ धरातल पर मिलने लग जाएगा।

भ्रष्टाचार और अपराध का आलम

सरकार का दावा है कि भ्रष्टाचार और अपराध को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जा रही है। ठेके पट्टे और तबादले में भ्रष्टाचार रोकने के लिए सरकार ने कदम तो उठाए हैं, लेकिन न तो भ्रष्टाचार पर लगाम लग पाई है और न ही अपराध पर। सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पीडब्ल्यूडी में काम करने वाले एक ठेकेदार ने भुगतान नहीं मिलने पर चीफ इंजीनियर के कमरे में गोली मारकर आत्महत्या कर ली। मामले की जांच के लिए सरकार ने एक कमेटी गठित की और कमेटी की रिपोर्ट पर कुछ लोगों के खिलाफ कार्यवाही भी की। जांच टीम के ही एक अधिकारी ने बताया कि ठेकेदार का 48 लाख रुपए का बकाया था और यह उसका 25वां बिल था। भुगतान के लिए विभाग के दो वाराणसी स्तर के अधिकारियों ने पांच-पांच लाख रुपए की ठेकेदार से मांग की थी। इतना ही नहीं, उसी ठेकेदार से डीएम आवास पर 10 लाख रुपए का अन्य काम भी कराया गया था।

कानून व्यवस्था पर हकीकत जुदा

कानून व्यवस्था को लेकर भले ही यूपी सरकार की पीएम और भाजपा अध्यक्ष ने तारीफ की हो, लेकिन हकीकत जुदा है। यूपी में भाजपा सरकार बनने के बाद से लगातार ऐसी घटनाएं घटीं, जिससे सरकार को किरकिरी का सामना करना पड़ा। सहारनपुर में जातीय हिंसा में एसपी ऑफिस में घुसकर तोड़फोड़ और हंगामा किया गया। दबंग जातियों की ओर से दलितों के घरों में आग लगाने के दौरान पुलिस तमाशा देखती रही। सरकार के 100 दिन पूरे होने से दो दिन पहले लखनऊ में चलते टेंपो में छात्रा से रेप की कोशिश की गई। विरोध करने पर धक्का दे दिया गया, जिससे उसकी मौत हो गई। इलाहाबाद में एक ही परिवार के चार लोगों का कत्ल, मथुरा में सर्राफा व्यापारी की दुकान में घुसकर लूट और दो लोगों की हत्या, फिरोजाबाद में कांच कारोबारी का अपहरण और सीतापुर में दाल व्यापारी समेत तीन की हत्या हो गई। इसके बाद जेवर में हाईवे पर महिलाओं से सामूहिक बलात्कार, प्रतापगढ़ में एक बदमाश द्वारा सिपाही की गोली मार कर हत्या, आगरा में डिप्टी एसपी की पिटाई, फिरोजाबाद में खनन माफिया द्वारा पुलिसकर्मी की हत्या के अलावा अलीगढ़, मथुरा में पुलिस पर हमले काननू व्यवस्था की साख पर सवाल खड़े कर रहे हैं। इसके अलावा हापुड़ मॉब लिंचिंग, कासगंज हिंसा, बुलंदशहर हिंसा, लखनऊ में विवेक तिवारी हत्याकांड, उन्नाव रेप कांड, सोनभद्र नरसंहार, मथुरा के एक थाने में दंपत्ति का आत्मदाह और अब स्वामी चिन्मयानंद सहित कई ऐसे मामले हैं, जिन्होंने कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाए हैं।

किसानों की बात

किसानों की बात करें तो पिछले तीन सालों का मिलाकर गन्ना बकाया भुगतान करीब 61 सौ करोड़ रुपया बकाया है। हालांकि सरकार का दावा है कि उन्होंने 73 हजार करोड़ से अधिक का भुगतान किया है। यह राशि पिछली सरकारों की ओर से 10 सालों में किए गए भुगतान से ज्यादा है। हालांकि किसान गन्ना बकाया सहित कई मामलों को लेकर सहारनपुर से दिल्ली की 11 दिवसीय पदयात्रा कर रहे हैं और 21 को देश की राजधानी दिल्ली में दस्तक देंगे।

विपक्ष हमलावर, सपा ने कहा- ये बिना नतीजे की सरकार

सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सरकार के ढाई साल पूरे होने के एक दिन पहले ट्विट कर हमला बोला है। उन्होंने लिखा है कि सपा सरकार के दौरान में शुरू हुई परियोजनाओं का उद्घाटन का श्रेय आज की सरकार के द्वारा लिया जाना लम्बित है। इसमें उन्होंने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, 500 बेड सुपर स्पेशियलिटी चाइल्ड केयर वॉर्ड, बीआरडी, गोरखपुर, गोरखपुर से देवरिया फोर लेन मार्ग, देवरिया से सलेमपुर फोर लेन मार्ग, वरुणा रिवर फ्रंट, अशफाक उल्ला खां जू गोरखपुर, भदोही कालीन बाजार, सरस्वती सिटी इलाहाबाद, गोमती रिवर फ्रंट, कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट, मिर्जापुर रोप-वे, केसी घाट सौन्दर्यीकरण, राधा रानी रोप-वे, इटावा लॉयन सफारी, आगरा मुगल म्यूजियम, आगरा कैफे, शाहजहांपुर मेडिकल कॉलेज, आम, आलू मंडी एक्सप्रेस-वे, कानपुर अमूल मिल्क प्लांट, कन्नौज गाय मिल्क प्लांट, नोएडा बुनकर बाजार और अयोध्या में भजन संध्या स्थल का जिक्र किया है। दरअसल, सपा मुखिया सरकार पर उद्घाटन का उद्घाटन और शिलान्यास का शिलान्यास करने का आरोप लगाते आए हैं।

प्रदेश सरकार के ढाई साल पूरे होने के बारे में सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी ने ‘आउटलुक’ को बताया कि कोई उपलब्धि कहीं है नहीं। ढाई वर्ष पूरे होने पर सरकार के उपलब्धियां गिनाने के बारे में उन्होंने कहा कि ये भी एक धोखा देने का तरीका है। कुछ हुआ नहीं, कहीं विकास नहीं हुआ। प्रदेश के ढाई वर्ष खत्म हो गए हैं। ये बिना नतीजे की सरकार है।

यूपी में जंगलराज: कांग्रेस

कांग्रेस के पूर्वांचल प्रभारी अजय कुमार उर्फ लल्लू ने ‘आउटलुक’ को बताया कि प्रदेश अराजकता की भेंट चढ़ गया है। जहां एक तरफ कानून व्यवस्था का दंभ भरते थे सीएम और इसी बेस पर सरकार आई थी, रोज-रोज जिस तरह से घटनाएं मीडिया में आ रही हैं, ये यूपी को शर्मशार करने वाली घटनाएं हैं। भाजपा के पूर्व गृह मंत्री रहे चिन्मयानंद जैसे लोग भी शामिल हैं और अब तक सरकार मौनी बाबा के रूप में बैठी है, ये कहां का न्याय है। कौन सी ऐसी परिस्थिति है कि अब तक ना उनके खिलाफ मुकदमा हुआ और ना ही गिरफ्तारी हुई है। ये प्रमाण इस बात के लिए काफी है कि यूपी के कानून व्यवस्था का क्या हाल है। यूपी में अगर ये कहा जाए कि जंगलराज है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। गन्ना किसानों की बात करें तो छह हजार करोड़ से अधिक गन्ना किसानों का बकाया है। अक्तूबर से नया पेराई सत्र शुरू होगा और अब तक किसानों का भुगतान न कर पाना धोखा है। आलू उत्पादक किसान निराश है। सौ-डेढ सौ रुपए कट्टे पर आलू बेचने को विवश हैं। अभी भी तमाम ऐसे किसान हैं जो कर्ज माफी से छूटे हुए हैं। बेरोजगारी का दौर बढ़ा है। कोई भी नियुक्ति पारदर्शी नहीं है। सारी नियुक्तियां हाईकोर्ट में लंबित हैं। सारे रोजगार के केंद्र आउटसोर्सिंग के माध्यम से सरकार कर रही है और बड़ी कंपनियों को इसमें सम्मलित करती जा रही है। बिजली की दरें काफी बढ़ गई हैं। जिन प्रदेशों में भाजपा की सरकार नहीं हैं वहां ये प्रदर्शन कर रहे हैं। पूरे देश की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है। इंवेस्टर समिट पर बड़े बड़े डिंग हांकने का काम किया गया। इंवेस्टर समिट को केवल प्रचारित किया गया। एक भी इंवेस्टर अब तक कोई भी नया इंवेस्ट न करके यूपी में किसी तरह की कोई परियोजना शुरू करने में सफल नहीं हुआ है।

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TAGS: Two and a half years, BJP government, UP, hope of change, not fulfilled, yogi sarkar, ढाई साल भाजपा सरकार, उत्तर प्रदेश, रिपोर्ट कार्ड
OUTLOOK 19 September, 2019
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