मनीष तिवारी बोले उद्धव को एनपीआर, सीएए पर ब्रीफिंग की जरूरत, कानून का किया था समर्थन
सीएए और एनआरसी पर शिवसेना और कांग्रेस में मतभेद की खबरें सामने आने लगी हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने शनिवार को उद्धव के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा कि 'उद्धव ठाकरे को सीएए पर ब्रीफिंक की जरूरत है। अगर आप एनपीआर करते हैं तो एनआरसी होने से नहीं रोक सकते। संविधान के हिसाब से सीएए को फिर से समझने की जरूरत है, धर्म नागरिकता का आधार नहीं हो सकता।
ट्विटर अकाउंट पर लिखा
मनीष तिवारी में अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा, ‘महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे को सीएए पर नियम 2003 के हिसाब से ब्रीफिंग की जरूरत है। उनको यह समझना चाहिए कि एनपीआर से एनआरसी की बुनियाद कैसे पड़ेगी। एक बार जब आप एनपीआर कर लेते हैं तो एनआरसी को नहीं रोक सकते। संविधान के हिसाब से सीएए को फिर से समझने की जरूरत है।’
सीएए को लेकर किसी को डरने की जरूरत नहीं
दरअसल महाराष्ट्र के सीएम और शिवसेना के मुखिया उद्धव ठाकरे ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था कि सीएए को लेकर किसी को डरने की जरूरत नहीं है। उस वक्त भी मैंने कहा था कि यह कानून किसी को देश से निकालने के लिए नहीं है, मैंने अपने प्रदेश के सभी नागरिकों को यह वादा किया है कि किसी के भी अधिकार को छीनने नहीं दूंगा। सीएए आ गया तो किसी को डरने की जरूरत नहीं है। एनआरसी को लेकर भी मुसलमानों को डराया जा रहा है, जो सही नहीं है। यह हिंदू और मुसलमान सभी के लिए है और इसके लिए सभी लोगों को कतार में खड़ा होना पड़ेगा। जो भी लोग सीएए और एनआरसी के नाम पर लोगों को भड़का रहे हैं, उनको यह समझने की आवश्कता है।
महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस बढ़ सकता है तनाव
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से सरकार बनाई है। ऐसे में साफ देखा जा सकता है कि शिवसेना प्रमुख के इस बयान से साझीदार दल नाखुश हैं। साथ ही यह भी सवाल उठ रहे हैं कि कांग्रेस और शिवसेना की राय सीएए व एनआरसी पर अलग-अलग है तो क्या दोनों के बीच रिश्तों में तनाव पैदा हो सकता है। जानकारों की मानें तो उद्धव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक घंटे की मुलाकात की और उसके बाद एक प्रेस कांफ्रेंस करके सीएए व एनआरसी पर अपना रुख साफ किया।
हालांकि उद्धव ने सोनिया गांधी से भी एक घंटे मुलाकात की थी, लेकिन इसको लेकर उन्होंने कोई बयान नहीं दिया। अब कयास यह लगाए जा रहे हैं कि सीएए और एनआरसी पर शिवसेना का यही रुख रहता है तो आने वाले दिनों में उद्धव के लिए राह मुश्किल होगी।