बिहार और झारखंड से भी मिलेगी ममता को चुनौती, ये छोटे दल देंगे टक्कर
ममता के गढ़ पश्चिम बंगाल में कम समय में विधानसभा चुनाव होने हैं। भाजपा की घेरेबंदी से तृणमूल के पुराने साथी साथ छोड़ रहे हैं। अब झारखंड और बिहार से दूसरी पार्टियां भी ममता को चुनौती देने के लिए कमर कस रही हैं। बिहार में सत्ताधारी और भाजपा की सहयोगी पार्टी जदयू पश्मि बंगाल में कोई 75 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है तो झारखंड में सत्ताधारी झारखंड झारखंड मुक्ति मोर्चा भी कोई 35 सीटों पर अपना हिसाब लगा रही है। वहीं झारखंड में भाजपा की सहयोगी आजसू पार्टी भी वहां चुनाव लड़ने के मूड में है।
झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य कहते हैं कि बंगाल के कुछ साथी आये हुए हैं। कोलकाता में पार्टी की 20 दिसंबर को बैठक है। उसमें झारखंड के परिवहन मंत्री पश्चिम चंपई सोरेन शामिल होंगे। वे बंगाल के करीब के सरायकेला से झामुमो के विधायक हैं। चंपई झामुमो के वरिष्ठ नेता होने के साथ झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के बहुत करीबी रहे हैं। सुप्रियो ने कहा कि झामुमो पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारेगी। कितने सीटों पर के सवाल पर कहते हैं कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व फैसला करेगा। हालांकि पार्टी के भीतरी सूत्रों के अनुसार झामुमो यहां झारखंड से लगने व जनजातीय बहुल कोई 35 सीटों पर नजर रख रही है।
आजसू भी पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में है। इसके लिए 28 दिसंबर को राज्यस्तरीय सम्मेलन बुलाने का निर्णय किया है। तय किया गया है कि वृहद झारखंड एरिया क्षेत्र के पश्चिम बंगाल के पुरुलिया, बांकुड़ा, एवं मिदनापुर जिला के लोगों को भी इसमें बुलाया जायेगा। उसमें लोगों की राय ली जायेगी। साथ ही स्वायतशासी परिषद की मांग की जायेगी। पार्टी कितने सीटों पर उम्मीदवार देगी अभी निर्णय नहीं हुआ है।
बिहार में सीमांचल के मुस्लिम इलाकों में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन से उत्साहित ओवैसी की पार्टी भी पश्चिम बंगाल में संभावनाओं की तलाश कर रही है। बिहार में राजद, कांग्रेस और वाम दलों का एक्का है। और लालू प्रसाद की ममता से दोस्ती रही है ऐसे में बंगाल में यह यूपीए का खेमा क्या करता है समय बतायेगा। वैसे जदयू ममता के खिलाफ कोई 75 उम्मीदवारों को उतारने की रणनीति में जुटा है। 2016 में भाकपा यहां एक सीट पर जीती थी। छोटे बड़े दल पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस रहे है मगर यह समय के गर्भ में छुपा है कि ममता के किले में सेंध लगाने में और अपनी मौजूदगी दिखाने में कौन, कितना कारगर साबित होता है।