पश्चिम बंगाल चुनाव: ड्रग्स मामले में युवा नेता पामेला की गिरफ्तारी के बाद बुरी फंसी भाजपा
पिछले महीने भाजपा के लिए तब मुसीबत खड़ी हो गई जब कोलकाता पुलिस ने 19 फरवरी को पार्टी की युवा मोर्चा की सचिव पामेला गोस्वामी को 90 ग्राम कोकेन के साथ गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का दावा है कि पामेला ड्रग्स के धंधे में हैं और उन पर छह महीने से नजर थी। पार्टी की समस्या तब और बढ़ गई जब कोर्ट ले जाते वक्त पामेला ने कह दिया कि भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय के करीबी राकेश सिंह ने उनकी गाड़ी में ड्रग्स रखवाया है। पामेला की गिरफ्तारी के पांचवें दिन पुलिस ने राकेश को भी गिरफ्तार कर लिया। नारकोटिक्स एक्ट के तहत 100 ग्राम तक कोकेन रखने पर छह महीने से 10 साल तक जेल हो सकती है।
इस मामले में अब तक छह गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। पुलिस को अमृत सिंह नाम के शख्स की तलाश है। पामेला का कहना है कि गाड़ी में उसी ने कोकेन रखी। पुलिस को कुछ वीडियो फुटेज मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि वह लगातार तीन दिन राकेश के घर गया था। राकेश सिंह का आरोप है कि तृणमूल कांग्रेस के सांसद और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और मुरलीधर शर्मा नाम के पुलिस अधिकारी ने मिलकर उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा है।
इस घटना से पहले कोलकाता वासियों के लिए पामेला कोई चर्चित नाम नहीं था। दक्षिण कोलकाता के पातुली की रहने वाली 23 साल की पामेला ने शुरू में मॉडलिंग में पैर जमाने की कोशिश की, फिर एयर होस्टेस बनीं। उन्होंने कुछ टीवी सीरियल में भी काम किया है। उन्होंने राजनीतिक सफर की शुरुआत तृणमूल कांग्रेस से की, पर 2019 में भाजपा में आ गईं। वे सौमित्र खां की टीम का हिस्सा थीं। सौमित्र बंगाल भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष हैं। वे 2018 में तृणमूल छोड़ कर आए थे। 2020 में युवा मोर्चा का अध्यक्ष बने तो पामेला को सचिव बना दिया। सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाली पामेला ने किसान आंदोलन का पक्ष लेने वाली अमेरिकी मॉडल और अभिनेत्री मिया खलीफा को आइएसआइ एजेंट बताया था।
पुलिस ने पामेला के साथ प्रवीण कुमार दे को भी गिरफ्तार किया था। पुलिस के अनुसार पामेला के पिता ने पिछले साल शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा था कि प्रवीण ने पामेला को ड्रग एडिक्ट बना दिया है। पिता के अनुसार, प्रवीण ने पत्नी को तलाक देकर पामेला के साथ शादी करने का भी वादा किया था।
इस घटना से पहले कोलकाता पोर्ट के दबंग राकेश सिंह के बारे में भी लोग कम ही जानते थे। 2003 में राजनीति में प्रवेश करने वाले राकेश लंबे समय तक कांग्रेस में रहे। उनका परिवार मूलतः बिहार के आरा का है। पहली बार 2016 में तब चर्चा में आए जब पश्चिम बंगाल के शहरी विकास मंत्री फरहाद हाकिम के खिलाफ कांग्रेस ने उन्हें पोर्ट क्षेत्र से उतारा। उसी चुनाव के हलफनामे के अनुसार उनके नाम हत्या जैसे संगीन मामले समेत 25 आपराधिक मामले दर्ज हैं। 2019 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वे भाजपा में शामिल हो गए।
भाजपा सूत्र इस प्रकरण को राकेश और पामेला की आपसी रंजिश का नतीजा बता रहे हैं। पामेला राकेश के बेटे के साथ बिजनेस करना चाहती थी और राकेश ने इसके लिए पैसे दिए थे। पामेला ने वह रकम कहीं और खर्च कर दी। झगड़ा तब शुरू हुआ जब राकेश पामेला से पैसे वापस मांगने लगे। इस मामले के बाद प्रदेश भाजपा के एक धड़े का कहना है कि दूसरी पार्टी के लोगों को बिना सोचे-समझे लाने के कारण ही आज पार्टी को शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है।