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10 November 2024

प्रधानमंत्री ने आदिवासियों को उनकी धार्मिक पहचान से क्यों वंचित रखा: कांग्रेस

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर झारखंड के बारे में रविवार को सवाल उठाते हुए पूछा कि उन्होंने आदिवासियों को उनकी धार्मिक पहचान से वंचित क्यों रखा और सरना कोड लागू करने से इनकार क्यों किया।

कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी झारखंड में चुनावी रैलियां कर रहे हैं, इसलिए उन्हें एक भी वोट मांगने से पहले तीन सवालों के जवाब देने चाहिए। उन्होंने ‘एक्स’ पर सवाल किया कि कोरबा-लोहरदगा और चतरा-गया रेलवे लाइन का क्या हुआ। रमेश ने कहा कि लोहरदगा और चतरा के लोग शिक्षा, रोजगार और व्यापार के अवसरों तक पहुंच में सुधार के लिए वर्षों से बेहतर रेल कनेक्टिविटी की मांग कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से, मोदी सरकार के सत्ता में आने के दस साल बाद और लोहरदगा से लगातार दो बार भाजपा सांसदों के चुने जाने के बाद भी इस संबंध में विशेष प्रगति नहीं हुई है। अक्टूबर 2022 में, रेल मंत्रालय ने चतरा-गया रेल परियोजना को मंजूरी दी लेकिन दो साल बाद भी कोई प्रगति नहीं हुई है।’’

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रमेश ने कहा, ‘‘कोरबा-गुमला-लोहरदगा लाइन के लिए लोगों को और कितना इंतजार करना होगा? चतरा-गया लाइन के लिए लोगों को और कितना इंतजार करना होगा? क्या नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री इस आवश्यक परियोजना को पूरा करने के लिए कुछ कर रहे हैं?’’

उन्होंने सवाल किया कि वे इंजीनियरिंग कॉलेज कहां हैं जिनका प्रधानमंत्री ने 2014 में वादा किया था। रमेश ने कहा कि झारखंड में 2014 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान अपने प्रचार अभियान में प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य में एक आईटी संस्थान और इंजीनियरिंग कॉलेजों समेत कई औद्योगिक और शैक्षिक परियोजनाओं का वादा किया था।

रमेश ने कहा, ‘‘लेकिन अब तक केवल दो संस्थान ही स्थापित हुए हैं - एनआईईएलआईटी (राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान) रांची और केंद्रीय पेट्रोरसायन अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (सिपेट) खूंटी। इन संस्थानों के पास भी क्रमशः नौ और सात वर्षों के संचालन के बाद कोई स्थायी परिसर नहीं है। दूसरी ओर, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) नीत सरकार ने भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) रांची और एक केंद्रीय विश्वविद्यालय जैसे अच्छी क्वालिटी वाले संस्थानों की स्थापना की थी।

उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री शैक्षिक संस्थानों के वादे पूरे करने में क्यों विफल रहे जो उन्होंने दस साल पहले किए थे। प्रधानमंत्री ने आदिवासियों को उनकी धार्मिक पहचान से वंचित क्यों किया है, उन्होंने सरना कोड को मान्यता देने से क्यों इंकार किया है?

उन्होंने कहा, ‘‘झारखंड के आदिवासी समुदाय वर्षों से सरना धर्म को मानते आ रहे हैं। वे भारत में अपनी विशिष्ट धार्मिक पहचान को आधिकारिक रूप से मान्यता देने की मांग कर रहे हैं। लेकिन, जनगणना के धर्म कॉलम से ‘अन्य’ विकल्प को हटाने के हालिया निर्णय ने सरना अनुयायियों के लिए दुविधा पैदा कर दिया है। उन्हें अब या तो विकल्प में मौजूद धर्मों में से किसी एक को चुनना होगा या कॉलम को ख़ाली छोड़ना होगा।’’

रमेश ने कहा कि भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास के 2021 तक सरना कोड लागू करने के आश्वासन के बावजूद, मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में इस मामले में कोई खास प्रगति नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि क्या प्रधानमंत्री इस मुद्दे को संबोधित करेंगे और स्पष्ट करेंगे कि सरना कोड लागू करने को लेकर उनका क्या रुख है।

झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए 13 और 20 नवंबर को चुनाव होंगे जबकि मतगणना 23 नवंबर को होगी।

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TAGS: Prime Minister Narendra Modi, tribals, religious identity, Congress
OUTLOOK 10 November, 2024
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