वाल्मीकि निगम ‘घोटाला’ मामले में छापेमारी पर सिद्धरमैया ने कहा, "ईडी को अपना काम करने दें"
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने बुधवार को कहा कि उनकी सरकार कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड में कथित अनियमितता संबंधी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय चार राज्यों में छापेमारी कर रहा है जिनमें सिद्धरमैया सरकार के पूर्व मंत्री बी नागेंद्र और कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक बसनगौड़ा दद्दाल के परिसर भी शामिल हैं जो संबंधित निगम के अध्यक्ष हैं।
सूत्रों ने बताया कि एजेंसी कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और एक अन्य राज्य में करीब 20 स्थानों पर छापेमारी कर रही है। ईडी की यह छापेमारी धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में हो रही है। छापेमारी संबंधी एक सवाल के जवाब में सिद्धरमैया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘ईडी को अपना काम करने दें। हम इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे। उन्हें कानून के अनुसार अपना काम करने दें, उन्हें जो करना है, उन्हें करने दें।’’
निगम से संबंधित अवैध धन हस्तांतरण का मामला तब प्रकाश में आया जब इसके लेखा अधीक्षक चंद्रशेखरन पी ने 26 मई को आत्महत्या कर ली। चंद्रशेखरन ने सुसाइड नोट में निगम के बैंक खाते से 187 करोड़ रुपये के अनधिकृत हस्तांतरण का दावा किया था।
उन्होंने अपने नोट में निगम के अब निलंबित प्रबंध निदेशक जे जी पद्मनाभ, लेखा अधिकारी परशुराम जी दुरुगनवर और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य प्रबंधक सुचिस्मिता रावल का नाम लिया था। नोट में यह भी लिखा था कि ‘मंत्री’ ने धन हस्तांतरित करने के लिए मौखिक आदेश जारी किए थे।
घोटाले के सिलसिले में अपने खिलाफ लगे आरोपों के बाद अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री नागेंद्र ने छह जून को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। राज्य सरकार ने जांच के लिए आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) में आर्थिक अपराध मामलों के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मनीष खरबीकर की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था।
एसआईटी ने मामले के सिलसिले में मंगलवार को नागेंद्र और दद्दाल से पूछताछ की थी।