विपक्ष और चुनाव आयोग आमने-सामने: ‘वोट चोरी’ विवाद पर इंडिया ब्लॉक का हमला तेज
नई दिल्ली में सोमवार को विपक्षी इंडिया ब्लॉक ने एक बार फिर चुनाव आयोग और मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को कटघरे में खड़ा किया। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, डीएमके, तृणमूल कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आयोग पर पक्षपात, निष्क्रियता और जनता के भरोसे को तोड़ने के आरोप लगाए।
यह विवाद उस समय और बढ़ गया जब रविवार को सीईसी ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विपक्ष को झूठ और दुष्प्रचार फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा,
"जब राजनीति भारत के मतदाताओं को निशाना बनाकर, चुनाव आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर की जा रही है, तब आयोग सबको स्पष्ट करना चाहता है कि वह बिना किसी भेदभाव के, गरीब-अमीर, महिला-पुरुष, बुजुर्ग-युवा, सभी मतदाताओं के साथ चट्टान की तरह खड़ा है।"
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ‘‘ऐसे अधिकारियों के हाथों में है, जो खुले तौर पर पक्षपाती हैं’’। उन्होंने कहा कि आयोग विपक्ष द्वारा उठाए गए किसी भी आरोप की जांच तक नहीं कर रहा है।
तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने भी आयोग को घेरते हुए कहा कि ‘‘वोटर कार्ड में डुप्लीकेशन और फर्जी सूचियों’’ की शिकायतें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बार-बार उठाईं, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने यहां तक कह दिया कि ‘‘लोकसभा को तुरंत भंग कर देना चाहिए’’ और ‘‘पिछले चुनाव आयुक्तों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए’’।
INDIA ब्लॉक ने विशेष मतदाता सूची संशोधन (Special Intensive Revision) को लेकर भी आयोग पर सवाल उठाए। विपक्ष का आरोप है कि बिहार में इस प्रक्रिया के बहाने मतदाता सूचियों से बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ हो रही है। वहीं सीईसी ने रविवार को साफ कहा कि बिहार में चल रही यह कवायद सफलतापूर्वक पूरी होगी और किसी भी मतदाता के साथ अन्याय नहीं होगा।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में विपक्षी दलों ने संकेत दिए कि वे मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग (impeachment) प्रस्ताव ला सकते हैं। उनका कहना है कि जब तक चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठते रहेंगे, लोकतंत्र खतरे में रहेगा।
एक ओर चुनाव आयोग विपक्ष को ‘‘झूठ फैलाने वाला’’ बता रहा है, वहीं दूसरी ओर INDIA ब्लॉक आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहा है। आने वाले दिनों में महाभियोग प्रस्ताव की औपचारिकता और बिहार SIR की प्रक्रिया इस टकराव को और गहरा सकती है।