विपक्षी सांसद ने एक सुर में कहा- खेलों से राजनीति दूर हो, पीएम मोदी पर लगाया ये आरोप
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों के सांसदों ने पेरिस ओलम्पिक को लेकर भारत की तैयारी के विषय पर लोकसभा में सोमवार को हुई चर्चा को गैरजरूरी बताते हुए सरकार से मांग की कि उसे अब 2028 के ओलम्पिक की तैयारियों पर अभी से बात करनी चाहिए और सुझाव लेने चाहिए।
सदन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य संजय जायसवाल द्वारा नियम 193 के तहत ‘आगामी ओलम्पिक खेलों के लिए भारत की तैयारी’ विषय पर शुरू की गई चर्चा में भाग लेते हुए विपक्षी सदस्यों ने सरकार से मांग की कि खेलों और खेल संघों से राजनीति को दूर किया जाना चाहिए।
उन्होंने सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर यह आरोप भी लगाया कि जब खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में जीतकर देश लौटते हैं तो उनके साथ तस्वीर खिंचाई जाती है और संवाद होता है, लेकिन यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली और जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने वाली महिला पहलवानों से कोई बात नहीं की गई। चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि पेरिस ओलम्पिक 26 जुलाई से शुरू होने वाले हैं, ऐसे में चार दिन पहले इनकी तैयारियों को लेकर क्या सुझाव दिये जा सकते हैं? उन्होंने कहा कि अब तो खिलाड़ियों को शुभकामनाएं ही दी जा सकती हैं।
हुड्डा ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘अगर आप 2028 के ओलम्पिक के लिए सुझाव ले रहे हैं तो पता नहीं कि आपकी सरकार तब रहेगी या नहीं।’’ उन्होंने कहा कि ओलम्पिक के लिए 470 करोड़ रुपये का आवंटन प्रशंसनीय है लेकिन इसमें हॉकी और कुश्ती जैसे खेलों का निचले पायदान पर होना चिंता की बात है। हुड्डा ने ओलम्पिक, राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में हरियाणा के खिलाड़ियों के प्रदर्शन का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछले चार ओलम्पिक में आधे से अधिक पदक हरियाणा के खिलाड़ी जीतकर आए।
कांग्रेस सांसद ने दावा किया कि 2006-07 के बाद से ओलम्पिक समेत सभी अंतरराष्ट्रीय खेलों में 50 प्रतिशत तक पदक और 25 प्रतिशत तक खिलाड़ियों का प्रतिनिधित्व हरियाणा ने किया है। उन्होंने सरकार से मांग की कि सरकार को खिलाड़ियों का भविष्य सुनिश्चित करना चाहिए, भले ही वह पदक लाये या नहीं। हुड्डा ने आरोप लगाया कि हरियाणा में ‘पदक लाओ, पद पाओ’ की नीति के तहत कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार ओलम्पिक के विजेता खिलाड़ियों को पुलिस उपाध्यक्ष (डीएसपी) जैसे पद पर नियुक्त करती थी, लेकिन राज्य की भाजपा सरकार ने इस नीति को समाप्त कर दिया और विजय दहिया तथा नीरज चोपड़ा जैसे ओलम्पिक पदक विजेताओं को अभी तक कोई नियुक्ति नहीं दी गई है।
उन्होंने सरकार पर खिलाड़ियों को नकद पुरस्कार देने की व्यवस्था रोकने का भी आरोप लगाते हुए मांग की कि खिलाड़ियों को उचित मान-सम्मान दिया जाना चाहिए। हुड्डा ने दावा किया कि महिला पहलवानों के साथ छेड़छाड़ के आरोप संबंधी मामले में लंबे समय तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई थी, क्योंकि आरोपी उस समय सत्तारूढ़ दल के सांसद थे और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष थे। उन्होंने कहा, ‘‘जब खिलाड़ी जीतकर देश में आते हैं तो सरकार के मंत्री फोटो खिंचाने के लिए एयरपोर्ट पहुंच जाते हैं, लेकिन जंतर-मंतर पर जाकर किसी मंत्री ने पहलवान बेटियों पर हुए अत्याचार के बारे में उनकी बात नहीं सुनी।’’
तृणमूल कांग्रेस के सदस्य कीर्ति आजाद ने आरोप लगाया कि राजनीतिक दल खेल को उतना महत्व नहीं देते जितना दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में क्रिकेट के संदर्भ में तो खिलाड़ियों के हालात बदल गए, लेकिन एथलीट आज भी रेल में सामान्य डिब्बों में यात्रा करते हैं, उन्हें खानपान और अन्य सुविधाएं तक नहीं मिलतीं। पूर्व क्रिकेटर आजाद ने कहा कि अगर ओलम्पिक की तैयारी की बात करनी है तो 2028 के ओलम्पिक के बारे में होनी चाहिए, न कि इस ओलम्पिक की तैयारियों के बारे में... जबकि खिलाड़ी (पेरिस) चले गए हों।
उन्होंने भी अन्य विपक्षी सदस्यों के सुर में सुर मिलाते हुए कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने जब पहलवान बेटियों की जीत पर देश में उनका स्वागत किया था तो बहुत प्रसन्नता हुई थी, लेकिन खिलाड़ियों के साथ अत्याचार के समय उन्होंने (प्रधानमंत्री ने) मौनव्रत धारण किया हुआ था।’’ आजाद ने देश में विभिन्न खेलों के लिए प्रशिक्षकों की कमी का दावा करते हुए कहा कि ‘खेलो इंडिया’ योजना के तहत कोई भी खेल सकता है, अच्छी बात है, लेकिन उन खिलाड़ियों में ‘‘एकलव्य की तलाश कौन करेगा’’। उन्होंने कहा, ‘‘सत्तर प्रतिशत से अधिक कोच की जगह खाली पड़ी हैं।’’
आजाद ने कहा, ‘‘सरकार को संसद के अगले सत्र में 2028 के ओलम्पिक की तैयारियों के विषय को लेकर आना चाहिए...लेकिन पता नहीं तब तक यह सरकार रहेगी या नहीं।’’ समाजवादी पार्टी के नीरज मौर्य ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि 2020 के जापान ओलम्पिक में भारत के 120 खिलाड़ी गए थे और इस बार केवल 117 जा रहे हैं, जो चिंता की बात है। उन्होंने कहा, ‘‘इस बात पर चिंतन होना चाहिए कि खिलाड़ियों की संख्या घटी क्यों और आज तक ओलम्पिक में केवल 35 पदक क्यों आए हैं।’’
मौर्य ने भी महिला पहलवानों के आरोपों और जंतर-मंतर पर उनके प्रदर्शन का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘जब खिलाड़ी जीतकर आते हैं तो प्रधानमंत्री उनके साथ बात करते हैं, जब खिलाडी संकट में थे तब भी उनके साथ चर्चा करनी चाहिए थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘खेलों से राजनीति दूर हो। अगर ऐसा नहीं हुआ तो जंतर-मंतर पर जो हुआ वही होता रहेगा। खेल संघों में खेल से जुड़े लोगों को ही मौका मिलना चाहिए।’’