Advertisement
19 March 2015

बेमौसम बारिश पर राज्यसभा में चिंता

पीटीआइ

किसानों के प्रति सहानुभूति जताते हुए सरकार ने कहा कि कृषि विभाग ने प्रत्येक प्रभावित राज्य में नुकसान का आकलन करने के लिए टीमें गठित की हैं और केन्द्र के तीनों कृषि मंत्रा गुरूवार से राज्यों का दौरा शुरू करेंगे। राज्यसभा में इस मुद्दे पर हुई चर्चा में सभी दलों के नेताओं ने बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण किसानों पर बरसे प्रकृति के कहर को लेकर भारी चिंता जताई। इन नेताओं ने किसानों को फौरन मुआवजा दिलाने, उनके ऋणों के भुगतान को निलंबित करने, कर्ज के ब्याज को माफ करने, स्थिति से निबटने के बारे में सुझाव देने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने आदि जैसे सुझाव दिए।

इस बारे में सरकार का पक्ष रखते हुए सदन के नेता एवं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में फसलों को क्षति पहुंची है। इससे किसानों को जो नुकसान हुआ, केन्द्र की उनसे पूरी हमदर्दी है। उन्होंने सदन को आश्वासन दिया कि इस समस्या से निबटने के लिए केन्द्र प्रशासनिक एवं अन्य आवश्यक कदम उठाएगा। उन्होंने कहा कि नुकसान के बारे में सभी प्रभावित राज्यों से अभी तक आकलन नहीं मिल पाया है।

जेटली ने कहा कि नुकसान के आकलन के लिए कृषि विभाग टीमें गठित कर रहा है। इसके अलावा गुरूवार से केन्द्र के तीनों कृषि मंत्री (एक कैबिनेट एवं दो राज्य मंत्री) प्रभावित राज्यों का दौरा शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि राकांपा प्रमुख शरद पवार एवं अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं ने समस्या से निबटने के लिए जो सुझाव दिए हैं, सरकार उन पर विचार करेगी और राज्यों से तालमेल बैठाकर सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

Advertisement

वित्त मंत्री ने उत्तर प्रदेश के कुछ सदस्यों द्वारा मु्द्दा उठाए जाने पर कहा कि राज्य को पिछले साल सूखे के लिए केंद्र द्वारा 777 करोड़ रूपये जारी किए जा चुके हैं। इससे पहले गुरूवार को उप सभापति पी जे कुरियन ने कहा कि कई सदस्यों ने नियम 267 के तहत कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस देकर इस मुद्दे पर चर्चा करवाने को कहा है। उन्होंने कहा कि इस वजह से गुरूवार को सदन में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा होगी।

विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा पंजाब, राजस्थान, बिहार, गुजरात एवं महाराष्ट्र में बेमौसम की वर्षा और ओलावृष्टि के कारण खड़ी फसलें चौपट हो गई हैं। उन्होंने कहा कि फसलों को हुए नुकसान का निष्पक्ष आकलन किया जाए और मुआवजे का भ्रष्टाचार मुक्त वितरण किया जाए। उन्होंने कहा कि इसके अलावा किसानों के लिए वित्तीय पैकेज की जल्द से जल्द घोषणा की जाए।

जदयू के के.सी. त्यागी ने कहा कि इस प्राकृतिक कहर से 2000 करोड़ रुपये से अधिक की फसल तबाह हो गई है जबकि बीमा कंपनियों का आकलन है कि 1000 करोड़ से अधिक का नुकसान नहीं हुआ है। त्यागी ने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग शासनकाल में नुकसान के आकलन एवं फौरन राहत की घोषणा के लिए मंत्रियों का एक समूह हुआ करता था। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने ऐसे सभी पैनलों को भंग कर दिया है। उन्होंने मांग की कि नुकसान का आकलन करने के लिए मंत्रियों का एक समूह बनाया जाए जिसकी अध्यक्षता यदि वित्त मंत्री अरुण जेटली करें तो बेहतर रहेगा।

बसपा प्रमुख मायावाती ने कहा कि देश के किसानों के लिए दो बड़ी चिंताजनक बातें हुई हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के मौजूदा भूमि विधेयक को लेकर किसानों को बहुत चिंता है। उन्होंने इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि 2013 का भूमि अधिग्रहण कानून को ही बरकरार रखना चाहिए।

मायावती ने बेमौसम वर्षा और ओलावृष्टि की चर्चा करते हुए कहा कि इससे तीन चौथाई खड़ी फसलें चौपट हो गई हैं और नुकसान का आकलन करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्रियों से विचार विमर्श कर किसानों को मुआवजा दिलवाया जाना चाहिए। सपा के रामगोपाल यादव ने उत्तर एवं पश्चिमी भारत में फसलों को पहुंचे भारी नुकसान का जिक्र करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में तो अपनी बर्बाद फसलों को देखकर हार्ट फेल होने के कारण कई किसानों की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों के राहत के लिए 200 करोड़ रूपये की राहत की घोषणा की है। उन्होंने मांग की कि केन्द्र सरकार को हस्तक्षेप कर संकट से निबटने के लिए मदद देनी चाहिए।

माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया था कि वह देश के लिए नसीब वाले साबित हुए हैं। लेकिन देश को अब कृषि संकट का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि एक ओर चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 17 हजार करोड़ रूपये का बकाया है वहीं पश्चिम बंगाल में फसल चौपट होने के कारण आलू उत्पादक किसान आत्महत्या कर रहे हैं।

राकांपा प्रमुख शरद पवार ने महाराष्ट्र में अंगूर, आम एवं संतरे की खेती को हुए भारी नुकसान का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले कई सालों में कृषि क्षेत्र में इतनी गंभीर समस्या कभी नहीं आई। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भारतीय खाद्य निगम को खरीद बढ़ानी चाहिए।

पूर्व कृषि मंत्री ने मौजूदा संकट से निपटने के लिए कई सुझाव दिये जिनमें किसानों से ऋण वसूली को टालने, ब्याज माफी तथा कृषि बीमा का फौरन भुगतान करने के कदम शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को इसके साथ पशु चारे की कमी से निबटने के लिए भी समुचित कदम उठाने चाहिए क्योंकि इस आपदा में चारे वाली फसल को भी नुकसान पहुंचा है।

भाजपा के भूपेन्द्र यादव ने जहां इस संकट को किसानों के लिए आर्थिक से ज्यादा भावनात्मक संकट बताया वहीं उन्हीं की पार्टी के विजय गोयल ने कहा कि सभी सांसदों को अपने एक माह का वेतन किसानों की राहत के लिए देना चाहिए। गोयल ने मांग की कि इसके लिए संसद में एक प्रस्ताव पारित होना चाहिए।

तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर राय, अन्नाद्रमुक के नवनीत कृष्णन, बीजद के वैष्णव परीदा, द्रमुक की कानिमोई, शिवसेना के संजय राउत, शिरोमणि अकाली दल के बलविन्दर सिंह भुंडर, कांग्रेस के दिग्विजय सिंह, रजनी पाटिल, हुसैन दलवई एवं प्रमोद तिवारी, सपा के नरेश अग्रवाल, भाजपा के विनय कटियार तथा भाकपा के डी राजा ने भी चर्चा में भाग लेते हुए मौजूदा संकट के कारण किसानों को हुए भारी नुकसान पर गहरी चिंता जताई तथा उनकी मदद के लिए विभिन्न सुझाव दिए।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: बेमौसम वर्षा, किसान, ओलावृष्टि, कृषि विभाग, अरूण जेटली, शरद पवार, किसानों को मुआवजा
OUTLOOK 19 March, 2015
Advertisement