राज्यसभा में उठा गोडसे का मुद्दा
दलवई ने कहा कि गोडसे का मंदिर बनाने, पुल का नाम उसके नाम पर रखने का प्रयास किया गया तथा मोटरसाइकिल रैली निकाली गई। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं बेहद चिंता में डालने वाली हैं। उन्होंने कहा कि किसी हत्यारे की पूजा बंद की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन भी इस तरह की घटनाओं पर चिंता जता चुके हैं।
दलवई ने कहा कि इस बारे में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखा था। लेकिन प्रधानमंत्री ने उस पत्र का अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है।
कई दलों के सदस्यों द्वारा उनकी इस मांग से स्वयं को संबद्ध किए जाने के बीच भाजपा के तरुण विजय ने कहा कि हम महात्मा गांधी को वंदनीय मानते हैं। गोडसे को नहीं।
इससे पहले शून्यकाल में ही तरूण विजय ने अंडमान निकोबार का एक मुद्दा उठाते हुए वहां अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान तत्कालीन वायसराय के खिलाफ सबसे पहले आंदोलन का नेतृत्व करने वाले शेर अली का स्मारक बनवाए जाने की मांग की। विजय ने कहा कि अंडमान निकोबार में उस वायसराय की प्रतिमा अभी तक लगी हुई है लेकिन देशभक्त शेर अली का कोई स्मारक वहां नहीं है।
उन्होंने कहा कि अंडमान के शहीद स्मारक की पट्टिका से वीर सावरकर का नाम हटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह देश के एक महान स्वतंत्राता सेनानी का अपमान है और उनका नाम इस पट्टिका पर फिर से लगाया जाना चाहिए।
भाजपा सदस्य ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह के लोगों की समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां के लोगों को देश की मुख्य भूमि आने के लिए हवाई यात्राा पर हजारांे रूपये खर्च करना पड़ता है। यह एेसा खर्च उस समय और भारी लगता है जब किसी के परिवार में व्यक्ति के बीमार पड़ने पर उसे हवाई जहाज से दिल्ली, मुंबई या कोलकाता लाना पड़ता है।
उन्होंने अंडमान के मूलनिवासियों को हवाई किराये में छूट दिए जाने की मांग की।
विजय ने कहा कि अंडमान के लोगों को इंटरनेट एवं फोन कनेक्टिविटी, एटीएम में धन नहीं होने, पीने के पानी की कमी जैसी तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सरकार को अंडमान की समस्याएं दूर करने पर फौरन ध्यान देना चाहिए क्योंकि वह भी हमारे देश का अभिन्न हिस्सा है।