इटली की अदालत में जिनका नाम आया उनकी जांच होगी: परिकर
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने यह घोषणा करने के साथ ही यह आरोप भी लगाया कि इससे पहले किसी अदृश्य हाथ की भूमिका ने इस मामले की समुचित जांच को रोका। पर्रिकर ने अगस्ता वेस्टलैंड सौदे पर राज्यसभा में हुई अल्पकालिक चर्चा के जवाब में यह बातें कहीं। उन्होंने तथा संसदीय कार्य मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने इस पूरे मामले की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच कराये जाने की कांग्रेस सहित विपक्षी दलों की मांग को खारिज कर दिया जिसके विरोध में कांग्रेस और जदयू ने सदन से वाकआउट किया।
बारह वीवीआईपी हेलीकाप्टरों के लिए 3600 करोड़ रुपये के इस सौदे के बारे में रक्षा मंत्री ने कहा कि संप्रग अगस्ता वेस्टलैंड के हेलीकाप्टरों को खरीदने के लिए लगातार जोर डाल रहा था। उन्होंने इस मामले का तिथिवार ब्यौरा देते हुए कहा कि सीबीआई ने 12 मार्च, 2013 को एक मामला दर्ज किया था किंतु उसने नौ माह तक प्राथमिकी की प्रति को प्रवर्तन निदेशालय को नहीं दिया। उसके बाद ईडी ने जुलाई तक प्राथमिकी पर कोई कार्रवाई नहीं की।
पर्रिकर ने कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि कोई अदृश्य हाथ सीबीआई एवं ईडी की कार्रवाई या निष्कि्रयता का मार्गदर्शन कर रहा था। जांच जारी होने की ओर ध्यान दिलाते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, जांच उन लोगों की भूमिका पर केंद्रित होगी जिनका नाम इटली की अदालत के फैसले में आया है..सरकार घोटाले में शामिल लोगों को कानून के दायरे में लाने के लिए कोई कसर नहीं छोडे़गी। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने काफी जांच कर ली है और वह फिलहाल रिश्वत का धन कहां-कहां गया इसका पता लगाने की कोशिश कर रही है।
पर्रिकर ने गुलमर्ग एवं श्रीनगर में हेलीकाप्टरों की उड़ानें के बारे में भारतीय वायु सेना की लिखित टिप्पणियों संबंधी एक फाइल का उल्लेख करते हुए कहा कि सौभाग्य से यह तीन जून, 2014 की विनाशकारी आग से बच गई। उन्होंने कहा कि यह खुले में होने की बजाय एक अधिकारी की दराज में रखी थी। रक्षा मंत्री ने आरोप लगाया कि कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय संप्रग ने विदेश मंत्रालय, दूतावास एवं अदालत को लिखा।
उन्होंने कहा, सौदे को रद्द करने में करीब दो वर्ष लग गए...वास्तव में पहले तीन वायुयानों की आपूर्ति को टाला जा सकता था। पर्रिकर ने आरोप लगाया कि हेलीकाप्टरों को बढ़े हुए मूल्यों पर लाया गया तथा मूल्य सौदेबाजी के लिए कोई वास्तविक आधार नहीं मुहैया कराया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि आफसेट्स के लिए चयनित कंपनियों में से एक आईडीएस इंफोटेक का इस्तेमाल रिश्वत का धन देने के लिए माध्यम के तौर पर किया गया।