सूखे पर संसद में सरकार को घेरेगा विपक्ष
संसद के 25 अप्रैल से शुरू होने वाले बजट सत्र के जबर्दस्त हंगामेदार रहने के कयास लगाए जा रहे हैं। इस सत्र में राज्यसभा में विपक्षी दलों ने अपनी रणनीति बना ली है। इसमें उत्तराखंड में लगाए गए राष्ट्रपति शासन के विरोध के अलावा विपक्ष ने सरकार को सूखे की गंभीर स्थिति के बारे में घेरने की तैयारी कर ली है। उन्हें सफलता भी हासिल हो गई है, 27 अप्रैल को नियम 177 के तहत चर्चा होगी। इस चर्चा के लिए कांग्रेस, बीजेडी, जद (यू), बसपा और निर्दलीय सदस्यों ने नोटिस दिया था। इसमें जनता दल यू के केसी त्यागी, कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, हुसैन दलवई, भुवनेश्वर कालिता, राजानी पाटिल, विपलोव ठाकुर, मोहम्मद अली खान, बीजेडी के ए.एस देव, बसपा के सतीश चंद्रा, निर्दलीय राजीव चंद्रशेखर और नामित सदस्य केटीएस तुलसी शामिल है। देश में 30 फीसदी आबादी भीषण सूखे से जूझ रही है और इससे निपटने के लिए केंद्र सरकार ने पहले से ठोस तैयारी नहीं कर रखी थी। केंद्र सरकार की इस अनदेखी पर विपक्ष ने एक साझा रणनीति बनाई है और इस पर केंद्र सरकार को घेरने के लिए कमर कस ली है।
इस बारे में केसी त्यागी ने आउटलुक को बताया कि एक तरफ देश में सूखे को लेकर हहाकार मचा हुआ है वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार को जिस तत्परता से इस पर राहत कार्य करना चाहिए. बचाव के कदम उठाने चाहिए, वह सब नहीं उठआए जा रहे है। इसे भी एक फोटो ऑप की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। कोई ठोस नीति नहीं बनी है और आधा देश सूख गया है। गुलाम नबी आजाद की भी कहना है कि केंद्र सरकार अभी भी बिजनेस करने और कराने के ही मूड में है, प्रधानमंत्री को देश-विदेश में फोटो खिंचवाने से ही मोहलत नहीं मिल रही है, ऐसे में सूखे से कैसे निपटेगा देश।