'मुझ पे इल्जाम इतने लगाए गए, बेगुनाही के अंदाज जाते रहे', इस अंदाज में हामिद अंसारी ने ली विदाई
मुझ पे इल्जाम इतने लगाए गए,
बेगुनाही के अंदाज जाते रहे
यह शे'र हामिद अंसारी ने आज गुरुवार को उप-राष्ट्रपति और राज्य-सभा के सभापति के तौर पर अपने कार्यकाल के आखिरी दिन कहा। राज्य सभा टीवी पर अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने मुस्लिमों के अंदर बेचैनी का एहसास और असुरक्षा होने की बात कही थी। इसको लेकर भाजपा, शिवसेना के लोग उन पर निशाना भी साध रहे हैं लेकिन हामिद अंसारी ने अपने रुख पर कायम रहते हुए उन्होंने अल्पसंख्यकों के बारे में विदाई भाषण में भी बात रखी।
उन्होंने अपने तकरीबन 6 मिनट भाषण में जो बातें कहीं, उन्हें बिंदुओं में जानिए-
1. किसी आदमी के जीवन में एक दशक एक लंबा समय होता है। मैं सबको आभार प्रकट करता हूं, जिन्होंने आज सदन में मुझ पर अपनी बात कही।
2. जब मैं दस साल पहले इस सदन में आया था, तब एक वरिष्ठ नेता ने, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, मुझसे कहा था, ''कल के बाद आपको बहुत तकलीफ होगी। मुझे आपसे हमदर्दी है। आप इस तकलीफ को झेल जाएं और एक सलाह भी है कि हम लोग कितना भी हल्ला करें आप अपने चेहरे पर गुस्सा मत दिखाइए और हंसते रहिए। हम लोग देश के दुश्मन नहीं हैं लेकिन हम सब एक मुस्कान पर फिदा हो जाते हैं और चुपचाप बैठ जाते हैं।'' इन दिनों में मुझे लगा कि दोस्ती धीरे-धीरे पकने वाले फल की तरह है। मुझे लगता है, मैं उसमें काफी मात्रा में सफल हुआ हूं।
3. यह चेयर क्रिकेट में किसी अंपायर या हॉकी में किसी रेफरी की तरह है, जिसका काम बिना खेल में खिलाड़ी बने खिलाड़ियों को देखना है और जिसके लिए नियमों की किताब ही सर्वोपरि है।
4. मैं अपने पूर्ववर्तियों में से एक डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की बात दोहराना चाहूंगा,''किसी लोकतंत्र की पहचान इससे होती है कि उसमें अल्पसंख्यकों को कितनी सुरक्षा मिली हुई है? लोकतंत्र में अगर विपक्षी समूहों को स्वतंत्र होकर और खुलकर सरकार की नीतियों की आचोलना करने की इजाजत न हो तो लोकतंत्र अत्याचार में बदल जाता है। साथ ही अल्पसंख्यकों की भी अपनी जिम्मेदारी है। उन्हें आलोचना का अधिकार है लेकिन उनका ये अधिकार जानबूझकर बाधा डालने के लिए नहीं होना चाहिए। हर वर्ग के अपने अधिकार और अपनी जिम्मेदारियां हैं। ‘’
5. मुझे उम्मीद है सदन के सारे वर्ग इस उद्देश्य को पूरा करने की कोशिश करेंगे। लोग आपको बहुत बारीकी से देखते हैं।
6. जब मैं यह चेयर छोड़ रहा हूं, मैं राज्य सभा की सफलता की कामना करता हूं। मैं इसके सदस्यों को उन्हें सौंपी गई जिम्मेदारियों का सफलतापूर्वक पालन करने की कामना करता हूं। मैं राज्य सभा के पदाधिकारियों का भी धन्यवाद करता हूं।
अंत में एक शे'र से उन्होंने अपनी बात खत्म की-
आओ कि आज खत्म हुई दास्तान-ए-इश्क
अब खत्म-ए-आशिकी के फसाने सुनाएं हम
प्रधानमंत्री ने क्या कहा
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी समेत अनेक सदस्यों ने उनके लिए कुछ बातें कहीं। प्रधानमंत्री ने कहा, 'ये 10 साल पूरी तरह एक अलग तरह का जिम्मा आपके पास आया। पूरी तरह एक-एक पल संविधान-संविधान-संविधान के दायरे में चलाना और आपने उसे बाखूबी निभाने का भरपूर प्रयास किया। हो सकता है कुछ छटपटाहट रही होगी आपके अंदर भी लेकिन आज के बाद शायद आपको वैसा संकट नहीं रहेगा। मुक्ति का आनंद भी रहेगा और अपने मूलभूत जो सोच रही होगी उसके अनुसार कार्य करने, सोचने का और बात बताने का अवसर भी मिलेगा।'
गुलाम नबी आजाद ने बतौर सभापति उनके कार्यकाल की तारीफ की। सीताराम येचुरी ने उन्हें एक अच्छा अंपायर बताया। अरूण जेटली ने कहा कि भले ही आपके कार्यकाल में कई बाधाएं आई हों लेकिन इस दौरान कई अच्छी बहसें भी हुईं।
राज्यसभा टीवी को दिए गए इंटरव्यू में हामिद अंसारी ने क्या कहा
इससे पहले उपराष्ट्रपति ने राज्यसभा टीवी पर दिए अपने इंटरव्यू में कहा था कि देश के मुस्लिमों में ‘बेचैनी का एहसास’ और ‘असुरक्षा की भावना’ है। स्वीकार्यता का वातावरण खतरे में है।
राज्यसभा टीवी पर पत्रकार करण थापर को दिए गए एक इंटरव्यू में उपराष्ट्रपति ने कहा है, ‘’ये अनुमान सही है कि देश के मुस्लिम समुदाय में आज बेचैनी और असुरक्षा का भाव है। देश के अलग-अलग हिस्सों में मुझे ऐसी बातें सुनने को मिलती हैं। भारत का समाज सदियों से बहुलतावादी रहा है, लेकिन सबके लिए स्वीकार्यता का ये वातावरण अब खतरे में है। लोगों की भारतीयता पर सवाल खड़े करने की प्रवृत्ति भी बहुत चिंताजनक है।’’
हामिद अंसारी का कार्यकाल 10 अगस्त को खत्म हो रहा है। वेंकैया नायडू अब उनकी जगह लेंगे। शुक्रवार 11 अगस्त को वेंकैया नायडू का शपथ ग्रहण है।