लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की बात कही प्रणब मुखर्जी ने
बजट सत्र के पहले दिन संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र में अपने अभिभाषण में राष्ट्रपति ने लोकसभा एवं राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराने पर रचनात्मक चर्चा और धन-बल का दुरुपयोग रोकने के लिए सरकारी खर्च पर चुनाव कराए जाने की वकालत की।
अभिभाषण की शुरुआत में राष्ट्रपति ने कहा, यह एक ऐतिहासिक संयुक्त सत्र है जिसमें स्वतंत्र भारत में पहली बार बजट सत्र के निर्धारित समय को इस वर्ष आगे किया गया और आम बजट के साथ रेल बजट का विलय किया जा रहा है। मुखर्जी ने कहा, हम एक ऐसे लोकतंत्र के उत्सव के लिए पुन: एकत्र हुए हैं जिसके मूल्य और संस्कृति इस देश के लंबे इतिहास के हर दौर में फलते-फूलते रहे हैं। वास्तव में इसी संस्कृति ने मेरी सरकार को सबका साथ, सबका विकास की ओर प्रेरित किया।
राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण के अंत में कहा कि आज हम यहां एकत्रित हुए हैं कि हम अपने देशवासियों, विशेषकर गरीब नागरिकों द्वारा संसद जैसी पवित्र संस्था के प्रति दर्शाए गए विश्वास को बनाए रख सकें। उन्होंने कहा, हमारा हर कदम लोकतंत्र के इस मंदिर में देश के निर्माण के लिए किए गए असंख्य बलिदानों की वेदी में आहूति होगी। हम सब मिलकर सबका साथ, सबका विकास की भावना से ओत प्रोत होकर ऐसे भविष्य का निर्माण करें जिससे सभी को संविधान में प्रदत्त समानता और गरिमा प्राप्त हो सके।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी सभ्यता चिरकाल से ही सहनाववतु, सह नो भुनक्तु जैसे महान सिद्धांतों से प्रेरित है जिसका अर्थ है कि हम परस्पर एक दूसरे की रक्षा करें, हम दोनों का साथ साथ पोषण करें। उन्होंने कहा कि इस वर्ष महान सिख गुरु गुरु गोविंद सिंह जी की तीन सौ पचासवीं जयंती है। हम महान संत, दार्शनिक रामानुजाचार्य की 1000वीं जयंती भी मना रहे हैं। इन महान विभूतियों द्वारा दिखाया गया अलोकिक पथ सामाजिक परिवर्तन और सुधार का पथ है जो सबके लिए प्रकाश स्तम्भ है और मेरी सरकार के लिए प्रेरणादायी है।
मुखर्जी ने कहा कि इस वर्ष हम चंपारण सत्याग्रह की शताब्दी मना रहे हैं जिसने हमारे स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी थी और औपनिवेशिक ताकतों से लड़ने के लिए भारत की जनशक्ति को प्रेरित किया था। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के सत्याग्रह के आदर्शों ने हर भारतीय के मन में अदम्य साहस, अत्मविश्वास और जनहित के लिए बलिदान की भावना भर दी। आज यही जनशक्ति हमारी सबसे बड़ी ताकत है।
राष्ट्रपति ने देश में नारी शक्ति का उल्लेख करते हुए आज कहा कि सरकार इसे अपनी विकास यात्रा का अभिन्न अंग बना रही है और उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं। हमारे देश में महिलाओं को समान अवसर प्राप्त करने का हक है। रियो ओलंपिक में पी.वी. सिंधु, साक्षी मलिक, दीपा करमाकर और कई अन्य महिला खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन पर हमें गर्व है और यह महिला शक्ति की कामयाबी का प्रतीक है।
उन्होंने सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा, महिलाएं सशस्त्र सेनाओं के लड़ाकू दस्ते में भी शामिल हो रही हैं। पहली तीन महिला फाइटर विमान पायलटों पर राष्ट्र को गर्व है। यह हमें स्मरण कराता है कि यदि महिलाएं पूर्ण रूप से सशक्त हों और उनकी प्रतिभा तथा कौशल का इष्टतम उपयोग किया जाए तो एक राष्ट्र के रूप में हम बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, घटते बालिका लिंगानुपात के समाधान हेतु शुरू की गई ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना के अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं। लड़कियों के लिए सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने की दृष्टि से सुकन्या समृद्धि योजना शुरू की गई जिसमें एक करोड़ से भी अधिक खाते खोले गए और 11 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि जमा हुई है।
अभिभाषण में राष्ट्रपति ने लोकसभा एवं राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराने पर रचनात्मक चर्चा और धन-बल का दुरुपयोग रोकने के लिए सरकारी खर्च पर चुनाव कराए जाने की वकालत की। साथ ही उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र करते हुए कहा कि भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता का बार-बार उल्लंघन किए जाने का मुंह तोड़ जवाब देने के लिए निर्णायक कदम उठाए गए हैं।
उन्होंने कहा, बार बार चुनाव होने से विकास कार्य रूक जाते हैं। सामान्य जनजीवन अस्तव्यस्त हो जाता है। इससे सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और लंबी चुनाव ड्यूटी से मानव संसाधन पर बोझ पड़ता है। मुखर्जी ने कहा, मेरी सरकार लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं के एक साथ चुनाव कराने के विषय पर रचनात्मक दृष्टि से विचार-विमर्श किए जाने का स्वागत करती है।
उन्होंने कहा, चुनावों के लिए पैसा उपलब्ध कराए जाने के विषय पर भी चर्चा जरूरी है ताकि धन के दुरूपयोग को रोका जा सके। मेरी सरकार इस संबंध में चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक पार्टियों से बातचीत करने के लिए किए जाने वाले किसी भी निर्णय का खुले दिल से स्वागत करेगी।