'इंदिरा की बहू' वाले सोनिया के भावनात्मक दांव की गूंज
नेशनल हेरल्ड के मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का यह दांव कि, `वह इंदिरा गांधी की बहू हैं और किसी से डरती नहीं है’ भाजपा पर भारी पड़ा है। इस भावनात्मक जवाब ने न सिर्फ कांग्रेस के भीतर सांसदों और बाकी नेताओं को उनके इर्द-गिर्द मजबूती से खड़ा किया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का यह कहना कि उन्हें भी अदालत का फैसला अच्छा नहीं लगा, इस बात का संकेत है कि इस मुद्दे पर कांग्रेस को बाकी दलों का भी समर्थन मिल सकता है। आज भी राज्यसभा में इस मुद्दे पर हंगामा चलता रहा। हंगामे की वजह से दो बार सदन को स्थगित करना पड़ा।
हालांकि मामला चूंकि अदालत में है और अदालत ने बहुत स्पष्ट शब्दों में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को 19 दिसंबर को पेश होने का फैसला सुनाया है, इसलिए इस पूरे मुद्दे को राजनीतिक बदले के सवाल में तब्दील करना कांग्रेस की मजबूरी है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस मोर्चे को सीधे अपने कमान में लेते हुए यह तय किया है कि वह इसका डटकर मुकाबला करेंगी। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस नेतृत्व ने बैठक करके यह तय किया है कि संद के भीतर और बाहर पार्टी पूरी आक्रमकता से इस हमले का जवाब देगी। कांग्रेस की कानूनी टीम इसका कानूनी जवाब देने में लग गई है। लेकिन सोनिया गांधी इसे राजनीतिक मोर्चे पर लड़ना चाहती हैं। इसी रणनीति के तहत आज संसद से बाहर निकलते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, ‘यह सब पीएमओ का राजनीतिक बदला लेने का तरीका है। यह उनका राजनीति करने का तरीका है, लेकिन सच आखिर में सामने आ ही जाएगा। मुझे न्यायपालिका पर पूरी भरोसा है।’
अब देखना यह है कि संसद में जो जरूरी बिल मोदी सरकार को पारित करवाने हैं, उनका क्या होगा। जिस बिल को पारित करवाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चाय पर बुलाया था, जीएसटी, वह तो इस हंगामे की भेट चढ़ गया है। केंद्र सरकार आखिर किस तरह से सदन को चलाना चाहती है, किस तरह फ्लोर मैनेजमेंट करना चाहती है, यह अभी तक उसने स्पष्ट नहीं किया है।