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02 August 2018

पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का बिल लोकसभा में पास

File Photo

गुरुवार को लोकसभा में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाला बिल पास हो गया है। यह 123वां संवैधानिक संशोधन बिल है।

माना जा रहा है कि मोदी सरकार इस बिल के माध्यम से देश के पिछड़े वर्ग को लुभाने की कोशिश में है। यह बिल कितना अहम है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीजेपी ने अपने सांसदों को तीन लाइन का व्हिप जारी किया था।

पिछली बार यह बिल लोकसभा में तो पास हो गया था लेकिन राज्यसभा में अटक गया था। यह संविधान संशोधन से जुड़ा बिल है जिसे पास कराने के लिए दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत चाहिए। इस हिसाब से सरकार के पास लोकसभा में तो बहुमत है लेकिन राज्यसभा में उसकी स्थिति कमजोर है।

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विरोध को देखते हुए सरकार ने नए बिल में किए बदलाव

पिछली बार पिछड़ा वर्ग आयोग बिल को राज्यसभा से पास कराने के चक्कर में सरकार की किरकिरी हो चुकी है। राज्यसभा में पिछले साल इस बिल पर विपक्ष के संशोधनों को मंजूरी मिल गई थी। इस बार नए सिरे से बिल पेश करते हुए मोदी सरकार ने इसमें अहम बदलाव किए हैं। अब इसमें महिला सदस्यों को भी शामिल कर लिया गया है। इसके अलावा विपक्षी दलों ने इसमें राज्यों के अधिकारों में दखल की आशंका को लेकर आपत्ति जताई थी। अब सरकार ने इसे दूर करने की कोशिश की है। ओबीसी तबके में जातियों को जोड़ने या हटाने के लिए राज्यपाल से परामर्श लेने के प्रस्ताव को हटा लिया गया है। अब राज्य सरकारों से ही परामर्श लेने का प्रस्ताव है।

क्या है राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग?

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन 1993 में किया गया था। फिलहाल इसके पास सीमित अधिकार हैं। यह आयोग पिछड़ी जातियों को ओबीसी की केंद्र सरकार की सूची में शामिल करने या बाहर निकालने की ही सिफारिश कर सकता है। फिलहाल ओबीसी समुदाय की शिकायतों के निपटारे और उनके हितों की रक्षा के लिए अनुसूचित जाति आयोग ही काम करता है।

ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिए जाने के बाद इसके तहत पिछड़ी जातियों की समस्याओं का निपटारा किया जा सकेगा। इस विधेयक के पारित होने के बाद पिछड़ा आयोग ओबीसी सूची में शामिल जातियों की समस्याओं को सुन सकेगा और उनका समाधान कर सकेगा।

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TAGS: The Constitution 123rd Amendment Bill, 2017, Lok Sabha, NCBC constitutional status
OUTLOOK 02 August, 2018
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