जालियांवाला ट्रस्ट कानून में संशोधन पर बवाल, ट्रस्ट से कांग्रेस अध्यक्ष को स्थायी सदस्य से हटाने पर विवाद
जालियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल चलाने वाले ट्रस्ट से कांग्रेस अध्यक्ष को स्थायी सदस्य के पद से हटाने वाले बिल पर चर्चा के दौरान लोकसभा में शुक्रवार को नोकझोंक का माहौल देखने को मिला। हालांकि, कांग्रेस सदस्यों के वॉक आउट के बीच यह बिल लोकसभा से पास हो गया। बिल पेश करने वाले संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल ने कहा कि सरकार जालियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल से जुड़ी राजनीति को खत्म करना चाहती है। उन्होंने कहा, “हमारा यह विश्वास और सिद्धांत है कि नेशनल मेमोरियल से राजनीति खत्म होनी चाहिए। इसीलिए 1951 के ऐक्ट में संशोधन वाला विधेयक लाया गया है।” उन्होंने कहा, “यह उधम सिंह को सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होनी चाहिए।”
कांग्रेस और विपक्ष का विरोध
बिल के विरोध में कांग्रेस सांसद गुरजीत औजला ने कहा कि सरकार ट्रस्ट से कांग्रेस अध्यक्ष को हटाकर दोबारा इतिहास लिखना चाहती है। उन्होंने कहा, “यह सरकार इतिहास को तोड़ना-मरोड़ना चाहती है। उसे बर्बाद करना चाहती है। आप देश की आजादी के संघर्ष से कांग्रेस का नाम नहीं हटा सकते हैं।”
औजला ने जब भाजपा और उसी की तरह सोच रखने वाले संगठनों पर “आजादी के आंदोलन में भाग नहीं लेने के लिए” हमला किया, तो सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों ने भी नारों से जवाबी हमला बोला। औजला ने आरोप लगाया, “देश की आजादी के आंदोलन में आपका कोई योगदान नहीं है। आप मेमोरियल पर क्यों नियंत्रण चाहते हैं।” चर्चा के दौरान अकाली दल सांसद और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि ये कांग्रेस के ही सदस्य थे, जो 1984 के सिख दंगों में शामिल थे।
...सिख दंगों का जिक्र
बादल ने आरोप लगाया कि 1984 के सिख दंगों में शामिल एक व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाया गया और पंजाब मुख्यमंत्री के एक करीबी रिश्तेदार ने जालियांवाला बाग नरसंहार में शामिल जनरल डायर की भूमिका की तारीफ की थी। उन्होंने कहा, “यह एक दर्ज इतिहास है और आप इसे भुला नहीं सकते।” कांग्रेस ने बादल के आरोपो का जवाब स्लोगन और नारों से दिया। एक समय तो कुछ कांग्रेसी सदस्य पंजाब में ड्रग माफिया के बारे में प्लेकार्ड दिखाते नजर आए।
“दक्षिण के स्वतंत्रता सेनानियों का भी हो सम्मान”
डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने कहा कि सदन में ऐसे कटु माहौल को देखकर वह शर्मिंदा हैं। उन्होंने कहा, “हम स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करते हैं और मुझे उन पर गर्व है। कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी पार्टी है, जिसने आजादी की लड़ाई लड़ी। देश में बाकी पार्टियां कांग्रेस की उपज हैं।” मारन ने कहा कि लोकसभा में भाजपा का प्रचंड बहुमत है, लेकिन ताकत के साथ-साथ जिम्मेदारियां भी आती हैं और वह जिम्मेदारीपूर्वक व्यवहार नहीं कर रही है। उन्होंने सदन का कीमती समय बर्बाद होने से बचाने के लिए बिल को वापस लेने की मांग की।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत राय ने कहा, “गांधीजी ने मेमोरियल बनाया था। आप 68 साल बाद उस ऐक्ट को बदलना चाहते हैं। मैं इसका पुरजोर विरोध करता हूं। आप दोबारा इतिहास नहीं लिख सकते।”
उधर, वाईएसआर कांग्रेस के सांसद राम कृष्णा राजू ने कहा कि उनकी पार्टी बिल का विरोध नहीं करती है, लेकिन चाहती है कि आंध्र प्रदेश और बाकी राज्यों के स्वतंत्रता सेनानियों को भी याद किया जाना चाहिए।
क्या है जालियांवाल बाग नेशनल मेमोरियल (संशोधन) बिल
इस विधेयक में ट्रस्टी के पद से ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष’ को ‘हटाने’ का जिक्र किया गया है। पिछली सरकार में भी इसी तरह का बिल लाया गया था, लेकिन मंजूरी नहीं मिलने से यह गिर गया। इस नए बिल में यह भी कहा गया है कि लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी का नेता ट्रस्ट का सदस्य होगा। फिलहाल लोकसभा में विपक्ष के नेता का नाम ट्रस्ट के सदस्य के तौर पर है। इसके अलावा, यह संशोधित विधेयक केंद्र सरकार को नामित ट्रस्टी को बिना कोई कारण बताए उसका कार्यकाल पूरा होने से पहले पद से हटाने का भी अधिकार देता है।
फिलहाल, मेमोरियल का कामकाज देखने वाले ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं, जबकि इसके सदस्यों में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष, संस्कृति मंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता, पंजाब के राज्यपाल और पंजाब के मुख्यमंत्री शामिल हैं। केंद्र सरकार ने 1951 में जालियांवाला बाग मेमोरियल का गठन 13 अप्रैल 1919 को जालियांवाला बाग नरसंहार में मारे गए निहत्थों की याद में किया था।