कमजोर तैयारीः लोकसभा में मौका मिलने पर भी बोल नहीं पाए सिंधिया
दरअसल कांग्रेस के सदस्य कुछ कहना चाहते थे और पार्टी के मुख्य सचेतक ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अध्यक्ष से आग्रह किया कि के.वी. थामस, के.सी. वेणुगोपाल, पी. वेणुगोपाल, सुष्मिता देव समेत कुछ अन्य सदस्यों के कार्यस्थगल के नोटिस पर विचार करें। अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कार्यस्थगन के नोटिस को अस्वीकार कर दिया और उनसे अन्य अवसरों पर इन्हें उठाने को कहा।
क्षुब्ध नजर आ रही सुमित्रा महाजन ने कहा, आज मैं आपमें से किसी को बोलने से नहीं रोकूंगी। आप जो बोलना चाहते हैं बोलें। इस पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि सदन को हर दिन बाधित नहीं किया जा सकता, प्रश्नकाल चलने की अनुमति दी जानी चाहिए। हालांकि अध्यक्ष ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपनी बात रखने के लिए कहा। लेकिन सिंधिया कुछ बोल नहीं सके और पीछे बैठे सदस्य से कागजात मांगते देखे गए। इसके बाद वह सदन से बाहर गए और के. सुरेश के साथ कुछ कागजात लेकर वापस लौटे। इसके बाद फिर बात रखने की अनुमति देने की मांग की। लेकिन अध्यक्ष ने कहा कि अब प्रश्नकाल शुरू हो गया है, इसलिए आप अपनी बात शून्यकाल में रखें।
सदन में उस समय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी मौजूद थे लेकिन सदन में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे उपस्थित नहीं थे। सोनिया गांधी को ज्योतिरादित्य सिंधिया और के. सुरेश से कुछ पूछते देखा गया। इसके बाद कांग्रेस सदस्य अध्यक्ष के आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। वे जेटली इस्तीफा दो, हिटलरशाही नहीं चलेगी के नारे लगा रहे थे।
कांग्रेस सदस्यों के हंगामे के बाद अध्यक्ष ने 11 बजकर 10 मिनट पर यह कहते हुए कार्यवाही साढ़े 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी कि शोर शराबा कर रहे सदस्य कार्यवाही चलाना ही नहीं चाहते हैं।