पर्रिकर के बयान पर आजाद ने पूछा, अल्पसंख्यकों को कैसा सबक सिखाना चाहते हैं
राज्यसभा में सोमवार को शून्यकाल में तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि सत्तारूढ़ दल के नेता आए दिन आपत्तिजनक बयान देते रहते हैं। उन्होंने पर्रिकर के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को सदन में आकर सदस्यों को देश में सुरक्षा के संबंध में आश्वासन देना चाहिए। इसके बाद विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने भी आमिर के संबंध में पर्रिकर के कथित बयान का उल्लेख किया और कहा कि देश का बताएं कि देश के अल्पसंख्यकों को वह किस प्रकार का सबक सिखाना चाहते हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या वह अपने ही देशवासियों को अलग-थलग करने का प्रयास कर रहे हैं। सदन में मौजूद पर्रिकर ने कहा कि उनके बयान को मीडिया में गलत तरीके से पेश किया गया। उन्होंने कहा कि वह सिर्फ एक बात कहना चाहेंगे कि सदस्य पहले वह वीडियो देखें फिर टिप्पणी करें।
पर्रिकर के बयान पर विपक्षी सदस्य शांत नहीं हुए और माकपा के सीताराम येचुरी ने मंत्री के बयान पर आपत्ति जताई। उपसभापति पी जे कुरियन ने सदस्यों को शांत करने का प्रयास करते हुए कहा कि मंत्री ने साफ कहा है कि वीडियो देखिए। इसका अर्थ है कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा है जैसा मीडिया में आया है। पर्रिकर ने फिर कहा कि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया और किसी को धमकी नहीं दी है। सपा के रामगोपाल यादव ने कहा कि उन्होंने वीडियो देखी है और मंत्री ने जो कहा है कि वह सीधी धमकी है। बसपा नेता मायावती ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद धार्मिक अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिमों और दलितों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने मांग की कि प्रधानमंत्री को सदन में आकर बयान देना चाहिए।
उपसभापति कुरियन ने सदस्यों से शांत होने की अपील करते हुए कहा कि किसी भी मुद्दे का हल शोर नहीं है और मंत्री ने अगर यहां या बाहर कोई आपत्तिजनक बयान दिया है तो उसके लिए नियम मौजूद हैं। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि सदस्यों के पास नियमावली की पुस्तक होनी चाहिए और इसके लिए वह अपने पैसे से सदस्यों को नियमावली दे सकते हैं। इसके पहले सुबह बैठक शुरू होने पर कांग्रेस के आनंद शर्मा ने गौरक्षकों द्वारा दलितों और मुस्लिमों पर हमले किए जाने का मुद्दा उठाया और इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग की।