संभल में लोगों की जान गई और यहां संविधान दिवस मनाया जा रहा है: अखिलेश
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को कहा कि ऐसे समय में संविधान दिवस मनाना सही नहीं है जब संभल में लोगों की जान चली गई। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष के नेताओं को उत्तर प्रदेश में हिंसा प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने की अनुमति नहीं दी जा रही है।
संविधान दिवस पर शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा, “संविधान का सच्चा उत्सव तब है, जब हम उसका पालन करें।”
उन्होंने कहा, “हम समाजवादी हैं, बाबासाहेब बी.आर. आंबेडकर का संविधान हमारी रक्षा करता है और हमें हमारे अधिकार देता है। हम संविधान का सम्मान करते हैं लेकिन ऐसे समय में जश्न मनाना सही नहीं है जब संभल में कई लोगों की जान चली गई है।”
यादव ने आरोप लगाया, “संभल में सरकार ने जो किया है, उससे लोगों की जान गई है। न्याय से इनकार किया जा रहा है, लोगों पर झूठे मामले दर्ज किए जा रहे हैं।”
संभल शहर के कोट गर्वी क्षेत्र में रविवार को अराजकता फैल गई, जब अदालत द्वारा आदेशित जामा मस्जिद के सर्वेक्षण का विरोध कर रहे लोगों की पुलिस के साथ झड़प हो गई, जिसके परिणामस्वरूप चार लोगों की मौत हो गई।
गोलीबारी और पथराव के बीच हुई झड़पों में उप जिलाधिकारी रमेश चंद्र सहित 20 लोग घायल हो गए।
यादव ने सवाल किया, “वे चर्चा कर सकते थे, हम सर्वेक्षण के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जब टीम सर्वेक्षण कर रही थी, तब भाजपा कार्यकर्ता नारे लगा रहे थे। क्या उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की गई?”
उन्होंने कहा, “सरकार ने इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया है, कर्फ्यू लगा दिया है ताकि विपक्ष वहां न पहुंच सके। दोनों सदनों के हमारे विपक्ष के सदस्य वहां जाना चाहते हैं लेकिन सरकार हमें इसकी अनुमति नहीं दे रही है।”
सपा की लोकसभा सदस्य डिंपल यादव ने आरोप लगाया कि संभल में हिंसा इसलिए भड़काई गई ताकि राज्य में उपचुनाव कैसे कराए गए, इस पर चर्चा से बचा जा सके।
उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान जो माहौल देखने को मिला, उससे साफ पता चला कि प्रशासन पूरी तरह से भाजपा के समर्थन में था। वोटों की चोरी और लूट को सरकार दबाना चाहती थी। इसीलिए संभल की घटना को जानबूझकर अंजाम दिया गया।”
सपा सांसद इकरा हसन ने कहा कि संभल की घटना के कारण पार्टी ने संविधान दिवस समारोह का बहिष्कार किया है।
उन्होंने कहा, “हमारी पार्टी ने समारोह का बहिष्कार किया क्योंकि हमारे राज्य (उत्तर प्रदेश) में एक ऐसी घटना घटी जो संविधान पर काले धब्बे के समान है। केंद्र और राज्य की सत्ता में बैठे लोग एक तरफ संविधान की बात करते हैं और दूसरी तरफ संविधान का अपमान करते हैं। यह बहुत दुखद घटना है, हम दुखी हैं।”