इस मुस्लिम नेता ने ममता की बढ़ाई मुश्किलें, कभी सत्ता तक पहुंचाने में निभाई थी बड़ी भूमिका
बंगाल चुनाव से पहले सियासी जोड़तोड़ का खेल जारी है। अब पश्चिम बंगाल में पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) को कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन में शामिल किए जाने को लेकर राजनीति तेज हो गई है। पीरजादा कभी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी माने जाते थे वहीं अब वे उनके खिलाफ चुनावी मैदान में दिखाई दे रहे हैं। हालांकि इस गठबंधन को लेकर कांग्रेस पार्टी के नेताओं के बीच की आपसी तकरार तेज हो गई है।
फुरफुरा शरीफ दरगाह के जिस 38 वर्षीय मौलाना पीरजादा अब्बास सिद्दीकी को लेकर कांग्रेस में विवाद मचा हुआ है, वह कभी पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खास हुआ करते थे। ममता बनर्जी से नाराज होकर कुछ वक्त पहले उन्होंने अपनी नई पार्टी बना ली थी।
बता दें कि फुरफुरा शरीफ दरगाह का बंगाल के मुस्लिम समाज पर काफी विशेष प्रभाव है। यह दरगाह मुस्लिम वोट बैंक के लिए गेमचेंजर माना जाता है। लेफ्ट फ्रंट सरकार के समय इसी दरगाह की सहायता से ममता बनर्जी ने सिंगूर और नंदीग्राम जैसे बड़े आंदोलन कर सत्ता हासिल की थी। कई माह पहले पीरजादा अब्बास सिद्दीकी का ममता बनर्जी से मतभेद हो गया जिसके बाद उन्होंने नई पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी। सिद्दीकी ने ममता पर मुस्लिमों की अनदेखी का भी आरोप लगाया है।
माना जाता है कि मुस्लिमो को साधने के बाद ही वर्ष 2011 में ममता बनर्जी की धमाकेदार जीत हुई थी। बंगाल की 294 सीटों में से 90 से ज्यादा सीटों पर इस वोटबैंक का सीधा प्रभाव है। ऐसे में पीरजादा के नई पार्टी बना लेने से ममता बनर्जी के इस मजबूत वोट बैंक में सेंध लगाने की पूरी आशंका है। कांग्रेस की निगाह भी इसी वोट बैंक पर है जिसके कारण उसने आईएसएफ को अपने गठबंधन में शामिल किया है।