पंजाब: तो इस शर्त पर होगी कांग्रेस में सुलह, सिद्धू को लेकर बड़े संकेत
हाईकमान के फरमान पर पंजाब कांग्रेस अंतर्कलह से सुलह की ओर बढ़ने के लिए बगावत के सुर ढीले करेगी। इसके लिए फाॅयर ब्रांड नवजोत सिद्धू को मंत्रीमंडल में शामिल करने के साथ कुछेक दलित विधायकों की भी लॉटरी लग सकती है। पंजाब कांग्रेस में अंतर्कलह दूर करने के लिए दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान के निर्देंश पर गठित वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी मंगलवार को अपनी रिपोर्ट कांग्रेस की राष्ट्रीय अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को देगी। कमेटी सरकार और कांग्रेस संगठन में सिफारिश कर सकती है।
6 महीनें बाद पंजाब में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस हर वह दाव खेलेगी जो अपने बागियों के साथ विरोधियों को भी पस्त कर सके। इसी महीनें मंत्रीमंडल में फेरबदल हो सकता है जिसमें नवजोत सिद्धू को अहम विभाग दिया जा सकता है वहीं दलित मंत्रियों चरणजीत चन्नी,अरुणा चौधरी के विभागों में बदलाव के साथ एक और दलित चेहरा मंत्रीमंडल मंे शामिल किया जा सकता है। चुनाव से छह महीनें पहले भाजपा ने पंजाब में किसी दलित चेेहरे को मुख्यमंत्री के तौर पर उतारे जाने का एलान कर राज्य के 33 फीसदी दलित मतदाताओं को रिझाने का पासा फैंका है। हालांकि केंद्र के तीन कृषि कानूनों के भारी विरोध के चलते शिरोमणी अकाली दल से अलग हुए भाजपा के लिए पंजाब में पहली बार अकेले के दम पर चुनाव जीतना दूर की कौड़ी है पर दलित नेताओं को त्वजो देने के लिए भाजपा ने कांग्रेस को मजबूर कर दिया है।
सरकार में फेरबदल के बीच कांग्रेस संगठन में बदलाव के अासार बहुत कम हैं। सुनील जाखड़ पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे पर इनके साथ दो कार्यकारी अध्यक्ष लगाए जा सकते हैं जिनमें से एक दलित व दूसरा हिंदु चेहरा हो सकता है।
पंजाब कांग्रेस में अंतर्कलह का सबसे बड़ा लाभ नवजोत सिंह सिद्धू को मिलता दिखाई दे रहा है, क्योंकि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह उन्हें अंतर्कलह से पहले किसी भी सूरत में उप मुख्यमंत्री बनाने के लिए तैयार नहीं थे। लेकिन जिस प्रकार से कांग्रेस में एक माह से अंतर्कलह जारी है और पार्टी की केंद्रीय कमेटी ने सभी विधायकों व सांसदों को सुना और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को खुद कमेटी के सामने पेश होकर सफाई देनी पड़ी, उससे मुख्यमंत्री की आजादी भी सीमित हुई है। पार्टी का एक बड़ा वर्ग किसी न किसी रूप में मुख्यमंत्री की तरफ उंगली उठा रहा था।
सिद्धू को पार्टी में तो नहीं, लेकिन सरकार में उप मुख्यमंत्री के रूप में एडजस्ट करके अंतर्कलह को खत्म कर सकती है। यह भी कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह वर्तमान हालात में सिद्धू को उप मुख्यमंत्री बनाए जाने का विरोध भी नहीं कर पाएंगे। कैबिनेट में दलित कोटे से तीन मंत्री है। इसमें से चरणजीत सिंह चन्नी को कोई महत्वपूर्ण विभाग दिया जा सकता है।
पार्टी के उच्च स्तरीय सूत्र बताते हैं, बागियों के सुर ठंडे करने और सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले से पार्टी में एकजुटता आ सकती है। पांच दिनों के मंथन के दौरान सभी की चिंताएं 2022 को लेकर थीं। नेतृत्व परिवर्तन का मुद्दा भी नहीं था। ऐसे में मंत्रीमंडल और संगठन में फेरबदल से कांग्रेस 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले एकजुट हो सकती है।