राज्यसभा सदस्य अब्दुल्ला ने सीआईएसएफ कर्मी पर ‘दुर्व्यवहार’ का आरोप लगाया, सभापति से की शिकायत
राज्यसभा के सदस्य एम एम अब्दुल्ला ने संसद के उच्च सदन के सभापति जगदीप धनखड़ से कुछ सुरक्षाकर्मियों द्वारा कथित तौर पर उनकी संसद यात्रा का उद्देश्य पूछे जाने की शिकायत की है।
अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें एक सुरक्षा घेरे से पहले रोका गया और उनसे उनकी यात्रा का उद्देश्य पूछा गया। यह भी पूछा गया कि वह परिसर के अंदर कहां जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सीआईएसएफ कर्मियों के इस व्यवहार से स्तब्ध हूं जिन्होंने संसद में मेरे आने के उद्देश्य पर मुझसे सवाल किया। यह एक ऐसी जगह है जहां मैं लोगों और तमिलनाडु राज्य के हितों का प्रतिनिधित्व करता हूं। पीएसएस (पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस) के अधीन ऐसा अभूतपूर्व दुर्व्यवहार पहले कभी नहीं हुआ।’’
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि भले ही कोई आधिकारिक कार्यक्रम न हो तो भी संसद सदस्य होने के नाते मैं संसद में प्रवेश कर सकता हूं। और अगर मेरा अपना कोई कार्यक्रम भी है तो इसका खुलासा करने के लिए मैं उत्तरदायी हूं। मैं केवल अपने सभापति के प्रति जवाबदेह हूं, जो राज्यसभा के संरक्षक हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सीआईएसएफ कर्मियों ने आज जिस तरह से मुझसे पूछताछ की, उसे मैं अब तक समझ नहीं पा रहा हूं। इस घटना ने मुझ पर काफी प्रभाव डाला है।’’ अब्दुल्ला ने कहा कि सभापति को सीआईएसएफ कर्मियों द्वारा किए गए ‘अभूतपूर्व दुर्व्यवहार’ का संज्ञान लेना चाहिए, उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए और राज्यसभा एवं उसके सदस्यों की गरिमा को बनाए रखना चाहिए।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अब्दुल्ला के साथ हुए इस कथित दुर्व्यव्यहार पर आपत्ति जताई। थरूर ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के हाथों में संसद की सुरक्षा की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य साकेत गोखले ने भी अब्दुल्ला का समर्थन करते हुए कहा कि संसद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की निजी संपत्ति नहीं है।
गोखले ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘एक सांसद से यह नहीं पूछा जा सकता कि वे संसद क्यों जा रहे हैं। सदन के सदस्य के रूप में, संसद में रहना हमारा अधिकार है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘क्या इसीलिए पीएसएस की जगह सीआईएसएफ को संसद की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई है? भारतीय सांसदों को उनके कर्तव्यों का पालन करने से रोकने के लिए? गृह मंत्री अमित शाह को समझ लेना चाहिए। अब न तो ‘400 पार’ है और न ही '300 पार'। संसद मोदी या शाह की निजी संपत्ति नहीं है कि वे सांसदों को रोक सकें और पूछताछ कर सकें।’’
गोखले ने घटना की जांच की आवश्यकता पर बल देते हुए अर्धसैनिक बलों पर निजी सेना की तरह काम करने का आरोप लगाया।उन्होंने कहा, ‘‘आप संसद की सुरक्षा के लिए वहां हैं न कि अमित शाह की निजी सेना के रूप में।’’