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16 May 2020

दलित एक्टिविस्ट आनंद तेलतुंबडे की गिरफ्तारी के एक महीने बाद भी क्यों चुप है बीएसपी

पिछले महीने की गिरफ्तारी से एक दिन पहले देश के नाम लिखे पत्र में दलित कार्यकर्ता और चिंतक आनंद तेलतुंबडे ने लिखा, 'मुझे पूरी उम्मीद है कि आप अपनी बारी आने से पहले बोलेंगे।' 69 वर्षीय आनंद अब मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद हैं, जहां 77 कैदियों और 26 कर्मियों का कोविड-19 टेस्ट पॉजिटिव आया है। देश के सबसे प्रसिद्ध सार्वजनिक बुद्धिजीवियों और मजबूत दलित आवाज में से एक, तेलतुंबडे को 2018 भीमा कोरेगांव हिंसा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की कथित साजिश के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। तेलतुंबडे की गिरफ्तारी पर कई लोगों ने नाराजगी जाहिर की है, लेकिन इस बीच गिरफ्तारी के करीब एक महीने बीत जाने के बाद भी बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती या पार्टी की तरफ से कोई बयान नहीं आया है।

दलित चिंतक और नेता की गिरफ्तारी कोविड-19 लॉकडाउन के शुरू में और बीआर आंबेडकर की जयंती पर हुई थी। तेलतुंबडे मोदी के प्रबल आलोचक हैं। 2019 में कुछ भारतीय मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और वकीलों के फोन में इजरायल का बनाया जासूसी सॉफ़्टवेयर पाया गया था। इन कार्यकर्ताओं में तेलतुंबडे भी थे जो इस सॉफ़्टवेयर ‘पेगासस’ के हुए शिकार की फेहरिस्त में शामिल थे।

पिछले साल यानी 2018 में जब तेलतुंबडे के खिलाफ आरोप तय किए गए थे, तो दुनिया के कई प्रमुख शिक्षाविदों, जिनमें नोम चोम्स्की शामिल थे, ने संयुक्त राष्ट्र को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने की मांगा की थी और आरोपों को 'मनगढ़ंत' करार दिया था। पिछले महीने हुई उनकी गिरफ्तारी को लेकर लोगों में खासी नाराजगी देखने को मिली। उनकी गिरफ्तारी पर समाज से उठने वाली आवाज के अलावा, देश में दलित नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी एक संयुक्त बयान जारी किया जिसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश की निंदा करते हुए तेलतुंबडे से आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया था।

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“यह देश के सभी दलितों, आदिवासियों, ओबीसी और अल्पसंख्यकों के लिए बहुत दुखद और शर्मनाक है। इस गिरफ्तारी से पता चलता है कि भारत ने एक 'अपराध’ के लिए घाेर जातिवाद को उजागर किया है। तेलगुंबडे ने कोई अपराध नहीं किया है, इस संबंध में कोई सबूत भी सामने नहीं आया है”। इस बयान पर वंचित बहुजन अघाड़ी के प्रकाश आंबेडकर, भीम आर्मी के विनय रतन सिंह और गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने हस्ताक्षर किए। दरअसल, तेलतुंबड़े की गिरफ्तारी को लेकर हर तरफ से विरोध में आवाज उठ रही थी, लोग नाराजगी जता रहे थे, लेकिन इस बीच एक नाम था जो सामने नहीं आया और वो था बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती या पार्टी के प्रतिनिधि का। पार्टी ने गिरफ्तारी पर एक ट्वीट भी नहीं किया, केवल एक बयान जारी किया था। इस बयान में कहा गया था कि बीएसपी शायद एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसने राजनीतिक रूप से दलितों को एक सफलता के स्तर पर संगठित किया है, वह चार बार सरकार बनाने में सफल रही है और वह भी देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में। भारत में छह मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दलों में से एक के दल के रूप में, जिसके पास लोकसभा में 10 सीटें हैं। मायावती जो निस्संदेह देश में सबसे प्रमुख दलित चेहरा हैं। एक प्रमुख दलित बुद्धिजीवी की गिरफ्तारी से उनकी मौन प्रतिक्रिया थोड़ी सी चकित करने वाली है।

गिरफ्तारी पर बसपा की चुप्पी के बारे में पूछे जाने पर, बसपा नेता फैजान खान कहते हैं,‘वर्तमान में देश कोरोना वायरस महामारी के संबंध में अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों से निपट रहा है। इसीलिए हमारा सारा ध्यान वहीं पर है, लेकिन हम ऐसी गिरफ्तारियों की निंदा करते हैं। हालांकि, बीएसपी ने भीमा कोरेगांव मामले में राजनीति से प्रेरित गिरफ्तारी के लिए अगस्त 2019 में भाजपा की आलोचना की थी।

(यह लेखक के निजी विचार हैं)

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TAGS: Month, Activist, Anand Teltumbde, Arrest, BSP, Still Silent
OUTLOOK 16 May, 2020
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