सीएम कैंडिडेट का आश्वासन पाकर अखिलेश ने की मुलायम से मुलाकात
हालांकि यह बैठक सुलह के लिहाज से कितनी कामयाब रही, इसका कोई ब्यौरा नहीं है लेकिन सपा के अगले मुख्यमंत्री पद के लिये मुलायम द्वारा सोमवार को यूटर्न लिये जाने के बाद उनकी अखिलेश के साथ करीब 90 मिनट तक बैठक हुई। बैठक के बाद अखिलेश मीडिया के सवालों का जवाब दिये बगैर चुपचाप अपने आवास चले गये।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक बैठक के दौरान ना तो मुख्यमंत्री के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बन चुके उनके चाचा शिवपाल यादव और ना ही परिवार में झगड़े की जड़ कहे जा रहे राज्यसभा सदस्य अमर सिंह मौजूद थे।
इससे पहले अखिलेश अपने पिता के बुलावे पर घर से सटे मुलायम के घर पहुंचे। इस बैठक को सपा में सुलह-बातचीत के लिये बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सपा संस्थापक मुलायम ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनने की स्थिति में मुख्यमंत्री के चुनाव को लेकर अपना रूख बदलते हुए कहा था कि अखिलेश ही अगले मुख्यमंत्री होंगे। उसके बाद से सपा में सुलह की उम्मीदें जागी थीं। सपा में दो फाड़ के बाद चुनाव चिन्ह साइकिल पर दावेदारी को लेकर चुनाव आयोग में अपना पक्ष रखने के लिये दिल्ली गये मुलायम ने सोमवार रात को लखनऊ लौटने के बाद संवाददाताओं से कहा अगला मुख्यमंत्री अखिलेश ही बनेगा।
इस सवाल पर कि अखिलेश को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाये जाने को लेकर कुछ भ्रम पैदा हो गया है, उन्होंने कहा भ्रम तो अपने आप फैल गया। भ्रम तो अपने आप ही खत्म हो रहा है। अगला मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ही बनेगा। सपा में वर्चस्व की लड़ाई के बीच मुलायम का यह बयान बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वह पूर्व में कई बार कह चुके हैं कि सपा के अगले मुख्यमंत्राी का चुनाव सपा के चुने हुए विधायक ही करेंगे, लेकिन इस बार उन्होंने अखिलेश के नाम पर मुहर लगा दी है।
मुलायम ने कहा था कि हमारी पार्टी एक है। हमारी पार्टी टूटने का सवाल नहीं है। पार्टी एक ही व्यक्ति गड़बड़ कर रहा है। परसों तक सपा में कोई सुलह-बातचीत की सम्भावनाओं के दरवाजे बंद करने वाले मुलायम ने सब कुछ ठीक करने की दिशा में पहल करते हुए आज मुख्यमंत्री अखिलेश को मुलाकात के लिये बुलाया था।
मुलायम ने परसों दिल्ली में कहा था कि वह अब भी सपा के अध्यक्ष हैं जबकि अखिलेश प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। साथ ही शिवपाल यादव सपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। मालूम हो कि गत एक जनवरी को सपा के विवादित राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया था, जबकि मुलायम को सर्वोच्च रहनुमा का पद दिया गया था। इसके अलावा सपा महासचिव अमर सिंह को पार्टी से निष्कासित करने तथा शिवपाल को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने का निर्णय भी लिया गया था। मुलायम ने इस सम्मेलन को असंवैधानिक घोषित करते हुए इसमें लिये गये तमाम फैसलों को अवैध ठहराया था। भाषा