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18 December 2015

उत्तर प्रदेश में अखिलेश का धोबी-पाट

संजय

आज फिर विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश में सरगर्मी शुरू हो गई है। गठबंधन बनेगा या नहीं लेकिन समाजवादी पार्टी में सियासी सुगबुगाहट शुरू हो गई है। अखिलेश यादव ने पूरी तरह से कमान अपने हाथ में ली है। विरोधियों द्वारा इस बात की हवा दी जाती रही है कि प्रदेश में सत्ता के कई केंद्र हैं। लेकिन अब सभी निर्णय मुख्य‍मंत्री स्वयं ले रहे हैं। इस वजह से भी पार्टी के कई पुराने नेता परेशान हैं कि उनकी नहीं सुनी जा रही है।
पार्टी के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो साल 2017 में भी अखिलेश यादव नए प्रयोग करने की तैयारी कर चुके हैं। जिसमें पार्टी के कई मंत्रियों और विधायकों का पत्ता साफ हो जाएगा। कुछ समय पहले भी अखिलेश ने कई मंत्रियों को बर्खास्त कर यह साफ तौर पर संदेश दे दिया कि काम करने वाले लोगों को पार्टी में महत्व मिलेगा। बर्खास्त किए गए मंत्रियों को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थीं। अब भी कई मंत्रियों के बारे में मुख्य‍मंत्री कार्यालय को शिकायतें मिल रही हैं। विधायकों के भी कामकाज की समीक्षा की जा रही है। पार्टी के एक रणनीतिकार के मुताबिक मौजूदा विधायकों के कामकाज का आकलन किया जा रहा है अगर उनका काम ठीक नहीं हुआ तो टिकट कटना तय है। इससे कई मंत्रियों और विधायकों में दहशत का भाव देखा जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि मुख्य‍मंत्री सरकार की साफ छवि लेकर चुनाव मैदान में उतरना चाहते हैं और उनकी रणनीति है कि प्रदेश में जो विकास की रफ्तार है उसे ही चुनावी हथियार बनाएंगे। समाजवादी छात्र सभा के निवर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य सुनील सिंह 'साजन’ कहते हैं कि पार्टी ने चुनाव के समय में किए गए वादों के अलावा कई ऐसे उल्लेखनीय काम किए हैं जिसे लेकर जनता के बीच जाएंगे। सुनील के मुताबिक मेट्रो रेल और आगरा-लखनऊ एक्स‍प्रेस-वे सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि हैं। प्रदेश सरकार औद्योगिक विकास को विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनाने की तैयारी कर चुकी है। जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा ने भी प्रदेश में निवेश की इच्छा जताई और कहा कि अखिलेश सरकार फैंटास्टिक काम कर रही है। प्रदेश के उन्नाव जिले में आयोजित एक कार्यक्रम में रतन टाटा ने कहा, 'मैं उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास को देखकर खुश हूं।’ रतन टाटा से पहले एचसीएल के संस्थापक शिव नाडर ने प्रदेश में 500 करोड़ रुपये के निवेश का एलान किया था। विकास के इस पैमाने और सरकार साफ छवि को लेकर अखिलेश का यह नया दांव कितना सफल होगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

'सरकार के निर्णयों में पारदर्शिता है’

समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता‍ और कैबिनेट मंत्री राजेद्र चौधरी से बातचीत-

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चुनाव में अभी एक साल से अधिक समय है लेकिन पार्टी में अभी से उक्वमीदवार चयन को लेकर रस्साकसी शुरू हो गई है। ञ्चया वजह है?
मौके की तलाश हर किसी को होती है। पार्टी के कार्यकर्ता भी इसी उक्वमीद में रहते हैं कि उन्हें मौका मिले। रस्साकसी जैसी कोई बात नहीं है। समय आने पर सब ठीेक हो जाएगा।
कहा जा रहा है कि कुछ मंत्रियों या विधायकों का टिकट कट सकता है?
ऐसी कोई बात नहीं है। मंत्री हो या विधायक जो अच्छा काम कर रहे हैं उनकी हर जगह सराहना होती है।
सरकार की छवि को लेकर क्या‍ कहना चाहेंगे?
सरकार की छवि और उसके कामकाज को लेकर भी मुक्चयमंत्री जी सतर्क हैं। शासन, प्रशासन को चुस्त -दुरूस्त बनाने के लिए कई निर्णय लिए गए हैं और इन निर्णयों में पारदर्शिता और निष्पक्षता की झलक है।
चुनाव में एजेंडा क्या‍ होगा?
विकास प्रमुख एजेंडा है। सरकार ने पांच साल के लिए किए गए चुनावी वादों को साढ़े तीन साल में पूरा कर लिया। जिसकी हर जगह चर्चा हो रही है।

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TAGS: उत्तर प्रदेश, विधानसभा चुनाव, समाजवादी पार्टी, अखिलेश यादव, up, akhilesh yadav, election, samajwadi party
OUTLOOK 18 December, 2015
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