लोकसभा चुनाव के पहले झामुमो को बड़ा झटका, तीन टर्म से एमएलए शिबू सोरेन की बड़ी बहू ने छोड़ा पार्टी का दामन
लोकसभा चुनाव के पहले झारखंड में सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा को बड़ा झटका लगा है। यह पार्टी के साथ परिवार को भी आहत करने वाला है। झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की बड़ी बहू और तीन टर्म से झामुमो की विधायक रहीं सीता सोरेन ने झामुमो और परिवार को अलविदा कह दिया है। पार्टी और परिवार से रिश्ता खत्म करने के संबंध में उन्होंने 19 मार्च को झामुमो अध्यक्ष और अपने ससुर के नाम पत्र लिखा है। लगातार खुद की उपेक्षा से आहत होकर उन्होंने ऐसा फैसला लिया है। सीता सोरेन शिबू सोरेन के बड़े पुत्र दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं।
2009 में विधायक रहते दुर्गा सोरेन की अचानक मौत हो गई थी। उसके बाद से सीता सोरेन ने पति का उत्तराधिकार संभाला और जामा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा। यहां से वे तीन टर्म से विधायक हैं। सरकार की कार्यशैली को लेकर वे हमेशा आक्रामक रहीं। हालांकि उनकी टिप्पणियों पर हेमंत सोरेन ने कभी सार्वजनिक तौर पर प्रतिक्रिया नहीं दी। पार्टी में अपनी लगातार उपेक्षा को देखते हुए दो वर्ष पूर्व उनकी बेटियों ने अपने स्वर्गीय पिता के नाम पर दुर्गा सोरेन मोर्चा का गठन का राजनीति में कदम रखा।
हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद जब हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा शुरू हुई तो सीता सोरेन ने खुलकर बगावत कर दिया। कह दिया कि कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार नहीं करूंगी। अंतत: चम्पाई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया गया। चम्पाई कैबिनेट में जगह मिलने की सीता सोरेन को उम्मीद थी। मगर जगह नहीं मिली। हां शिबू सोरेन के छोटे पुत्र और दुमका से पहली बार विधायक बने बसंत सोरेन को चम्पाई कैबिनेट में जगह मिली। इससे वे और आहत हुईं। सीता सोरेन के बारे में चर्चा रही है कि वे भाजपा के संपर्क में हैं। उनके भाजपा में शामिल होने की संभावना जाहिर की जा रही है।
सीता सोरेन ने पत्र में क्या लिखा-
सीता सोरेन अपने पत्र में आदरणीय गुरूजी बाबा, केंद्रीय अध्यक्ष झारखंड मुक्ति मोर्चा को संबांधित करते हुए कहा कि मैं सीता सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा की केंद्रीय महासचिव एवं सक्रिय सदस्य वर्तमान विधायक हूं। आपके समक्ष अत्यंत दुखी हृदय के साथ अपना इस्तीफा प्रस्तुत कर रही हूं। मेरे स्वर्गीय पति दुर्गा सोरेन जो कि झारखंड आंदोलन के अग्रणी योद्धा और महान क्रांतिकारी थे के निधन के बाद से ही मैं और मेरा परिवार लगातार उपेक्षा का शिकार रहे हैं। पार्टी और परिवार के सदस्यों द्वारा हमे अलग-थलग किया गया है जो कि मेरे लिए अत्यंत पीड़ा दायक रहा है। मैंने उम्मीद की थी कि समय के साथ स्थितियां सुधरेंगी, परंतु दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ। झारखंड मुक्ति मोर्चा जिसे मेरे स्वर्गीय पति ने अपने त्याग, समर्पण और नेतृत्व क्षमता के बल पर एक महान पार्टी बनाया था आज वह पार्टी नहीं रही। मुझे यह देखकर गहरा दु:ख होता है कि पार्टी अब उन लोगों के हाथों में चली गई जिनके दृष्टिकोण और उद्देश्य हमारे मूल्यों और आदर्शों से मेल नहीं खाते। श्री शिबू सोरेन (गुरूजी बाबा के) अथक प्रयासों के बावजूद जिन्होंने हम सभी को एकजुट रखने के लि कठिन परिश्रम किया, अफसोस कि उसके प्रास भी विफल रहे। मुझे हाल ही में यह ज्ञात हुआ है कि मेरे और मेरे परिवार के खिलाफ एक गहरी साजिश रची जा रही है। मैं अत्यंत दु:खी हूं। मैने यह दृढ़ निश्चय किया है कि मुझे झारखंड मुक्ति मोर्चा और इस परिवार को छोड़ना होगा। अत: मैं अपनी प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रही हूं और आपसे निवेदन करती हूं कि मेरे इस्तीफे को स्वीकार किया जाये। मैं आपका और पार्टी का हमेशा आभारी रहूंगी और मेरी शुभ्ज्ञकामनाएं सदैव आपके साथ रहेंगी।
सीता सोरेन