उत्तर प्रदेश से नीरज शेखर होंगे भाजपा की ओर से राज्यसभा उपचुनाव के उम्मीदवार
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने नीरज शेखर को उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर ने हाल ही में समाजवादी पार्टी छोड़ दी थी और राज्यसभा से भी इस्तीफा दे दिया था। बीते महीने (जुलाई) ही नीरज शेखर बीजेपी में शामिल हुए थे। पिछले दिनों में समाजवादी पार्टी के कई नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है। नीरज शेखर और सुरेंद्र नागर के बाद हाल ही में अखिलेश यादव के करीबी माने जाने वाले संजय सेठ ने भी राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
भाजपा का दामन थामने के बाद क्या बोले थे नीरज शेखर
भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद नीरज शेखर ने कहा था कि पिछले काफी दिनों से ऐसा लग रहा था कि जो काम मैं कर रहा हूं, उसे आगे करवाना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों में पूरी तरह से सुरक्षित है।
अखिलेश यादव और नीरज शेखर के बीच चल रहा था विवाद
जानकारी के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों से अखिलेश यादव और नीरज शेखर के बीच विवाद चल रहा था। दरअसल नीरज शेखर लोकसभा चुनाव के दौरान बलिया की सीट से टिकट मांग रहे थे। लेकिन समाजवादी पार्टी की ओर से टिकट नहीं दिया गया था। इस प्रकरण के बाद से ही दोनों के बीच तनाव चल रहा था। बता दें कि चंद्रशेखर के निधन के बाद बलिया में उपचुनाव हुए, जिसमे नीरज शेखर ने जीत दर्ज की थी, लेकिन 2014 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
2007 में हुई थी नीरज के सियासी सफर की शुरुआत
नीरज शेखर के सियासी सफर की शुरुआत साल 2007 में हुई। चंद्रशेखर जब तक जीवित रहे, बलिया संसदीय सीट से सांसद निर्वाचित होते रहे। साल 2004 के लोकसभा चुनाव में वह आखिरी बार बलिया से सांसद निर्वाचित हुए। 2007 में उनके निधन के बाद खाली हुई बलिया सीट के लिए हुए उपचुनाव से नीरज शेखर के सियासी सफर की शुरुआत होती है। चंद्रशेखर सही मायनों में समाजवादी राजनीति के पैरोकार थे। परिवारवाद के धुर विरोधी चंद्रशेखर के जीवनकाल में उनके परिवार का कोई भी सदस्य राजनीति में सक्रिय नहीं था।
चंद्रशेखर की बनाई पार्टी सजपा का सपा में विलय
2007 के उपचुनाव में नीरज शेखर ने स्वयं को पिता की राजनीतिक विरासत के वारिस के तौर पर तो पेश कर दिया, लेकिन उसी पिता की एक निशानी मिटा दी। नीरज ने चंद्रशेखर की बनाई पार्टी सजपा का सपा में विलय कर दिया और बरगद के पेड़ की जगह साइकिल के निशान पर चुनाव लड़ा। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल होने के बाद 27 जुलाई को पहली बार नीरज शेखर लखनऊ पहुंचे। यहां उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री का विरोध करने वालों को स्वीकार करना चाहिए कि मोदी के हाथों में देश सुरक्षित है।