अखिलेश यादव ने कथित आयुष घोटाले को लेकर साधा निशाना, कहा- यूपी में बीजेपी सरकार घोटालों की सरकार
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार, घोटालों की सरकार बन गई है और उसके ‘झूठ के कारोबार’ से पर्दा उठने लगा है।
प्रदेश में सरकारी और निजी कॉलेजों में आयुष की सीटों पर दाखिले में कथित अनियमितताओं को लेकर प्रदेश की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए अखिलेश यादव ने दावा किया, "आयुष घोटाला तो महज एक गिनती है। पर्दा उठने पर न जाने कितने घोटाले सामने आएंगे। भाजपा के माथे पर लगे कलंक के टीके छिपने वाले नहीं है।"
लखनऊ में स्थित समाजवादी पार्टी कार्यालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक, यादव ने आरोप लगाया, “प्रदेश में सरकारी और निजी कॉलेजों में आयुष की सीटों पर प्रवेश को लेकर एक बड़ा गोरखधंधा चलता रहा और भाजपा सरकार इससे अनजान बनी रही।” उन्होंने दावा किया, “नीट में शामिल हुए बगैर सैकड़ों छात्रों के दाखिले आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी कॉलेजों में कर दिए गए। काउंसिलिंग का ठेका जिस कंपनी को दिया उसने अपनी जिम्मेदारी दूसरी कंपनियों को बांट दी।”
उन्होंने आरोप लगाया, “ भाजपा सरकार शिक्षा के क्षेत्र को पूरी तरह चौपट कर रही है। इतने बड़े आयुष घोटाले के बावजूद आयुर्वेद निदेशालय के अधिकारी जांच से लुकाछिपी का खेल खेल रहे हैं।” सपा प्रमुख ने इल्ज़ाम लगाया, “इन सबसे बेखबर मुख्यमंत्री दूसरे प्रांतों में जनता को गुमराह करने में लगे हैं। उन्हें न उत्तर प्रदेश की जनता की फिक्र है और न ही सरकारी घोटाले के शिकार नौजवानों के भविष्य की।” उन्होंने कहा,“सरकारी लापरवाही और फर्जीवाड़े के चलते नौजवानों व छात्रों का भविष्य अंधेरे में हो गया है। जिन्होंने नियम से दाखिला लिया उनकी पढ़ाई बाधित हो गई है। जांच के फेर में कई कॉलेजों की मान्यता भी फंस गई है। भाजपा सरकार में नियम कायदे का पालन करना भी गुनाह हो गया है।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने इन कथित अनियमितताओं की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने का हाल ही में अनुरोध किया है। यादव ने दावा किया, “सरकार अपने बचाव में निलंबन, जांच और बर्खास्तगी तक के बहाने बनाकर जनता को गुमराह करने में लगी है जबकि यह बात स्पष्ट है कि आयुर्वेद कॉलेजों में प्रवेश संबंधी बड़ी हेराफेरी बिना ऊपरी संरक्षण के संभव नहीं है। जांच करने वाले छोटे कर्मचारियों को ही निशाने पर ले रहे है।”