उत्तराखंड विवाद में भाजपा ने खुद की नाक कटा ली: शिवसेना
केंद्र और महाराष्ट्र की सरकार में भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने आज अपने मुखपत्र सामना के एक संपादकीय में उत्तराखंड में लोकतंत्र की हिफाजत करने के लिए न्यायपालिका की सराहना की और कहा कि पर्वतीय राज्य में केंद्र के हालात से निपटने के तरीके ने कांग्रेस को पुनर्जीवित करने वाली औषधि की तरह काम किया है। शिवसेना ने कहा, सत्ता एक दोधारी तलवार है। भाजपा इस तलवार से अपनी खुद की नाक न काटें। उत्तराखंड में ऐसा ही हुआ है। पार्टी ने कहा कि जिन्होंने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाकर अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की, यह दांव उनपर उलटा पड़ गया। मुखपत्र के संपादकीय में कहा गया, हमें दुख है कि इसने कांग्रेस को पुनर्जीवित करने वाली एक औषधि की तरह काम किया है।
संपादकीय में कहा गया, भाजपा को पूरी तरह शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है। उत्तराखंड में परिस्थितियां कांग्रेस के अनुकूल नहीं थीं लेकिन वे अब हमारी खुद की गंभीर गलतियों के कारण कांग्रेस के लिए लाभकारी हो गई हैं। शिवसेना ने उत्तराखंड में कांग्रेस के नौ विधायकों की बगावत की तरफ इशारा करते हुए कहा कि सरकार अल्पमत में आ गई थी। विश्वास मत होता तो कांग्रेस सरकार को हार का सामना करना पड़ता। लेकिन शक्ति प्रदर्शन को रोकने के लिए राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। पार्टी ने कहा, सत्ता में बैठे लोगों की गलतियों के कारण न्यायालयों को हस्तक्षेप करना पड़ा। न्यायालयों ने लोकतंत्र की हिफाजत की। लोगों ने भाजपा को संदेहजनक गतिविधियों और गैरजरूरी कार्रवाइयों में शामिल होने के लिए सत्ता नहीं सौंपी है।
शिवसेना ने कहा, देश को इस तरह कांग्रेस मुक्त नहीं किया जा सकता। बगावत और विधायकों की खरीद फरोख्त एक बीमारी है। इस बीमारी का इलाज करने की बजाए अगर इसे फैलाया जा रहा है तो हमें देश के भविष्य की चिंता हो रही है। हम सोच में हैं कि क्या भविष्य में अराजकता और आपातकाल की स्थिति होगी।