बिहार में भाजपा नहीं रही विपक्षी पार्टी
जद यू से अलग होने के बाद भाजपा प्रदेश में विपक्ष की भूमिका निभा रही थी। लेकिन मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को निकाले जाने के बाद जद यू विधायकों की संख्या ज्यादा हो गई। इस आधार पर जद यू ने विधानसभा अध्यक्ष से विपक्ष के नेता का पद मांगा था।
बिहार विश्वास मत प्रस्ताव के दौरान सदन में बैठने की व्यवस्था और जदयू के विपक्ष में बैठने की मांग को लेकर दिए आवेदन पर फैसले को लेकर विधानसभा अध्यक्ष ने सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में जोरदार विरोध देखने को मिला। सदन में भाजपा के नेता नंद किशोर यादव बैठक से बाहर चले गए और फिर विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी को इन मुद्दों पर फैसला करने के लिए अधिकृत कर दिया गया।
विधानसभा में जद यू के नेता विजय चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष से अपील की है कि वह उनकी पार्टी को मुख्य विपक्षी दल का दर्जा दें। विजय चौधरी ने कहा, हमने संख्या बल और तथ्य के आधार पर विपक्ष के लिए दावा किया है। हम विश्वास मत प्रस्ताव के विरोध में हैं तो ऐसे में हमें उस दिन विपक्ष का दर्जा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी तरह का आवेदन विधानसभा परिषद में दिया गया है कि जदयू को विपक्ष का दर्जा दिया जाए।
भाजपा के नंद किशोर यादव ने कहा कि विश्वास मत कैबिनेट के लिए हो रहा है और मांझी को छोड़कर दूसरे सदस्य जद यू में बने हुए हैं। ऐसे में जदयू विपक्ष में कैसे बैठ सकता है। मांझी को जदयू से बाहर किया जा चुका है।
मांझी को सर्वदलीय बैठक में आमंत्रित किया गया था, लेकिन वह शामिल नहीं हुए। इसमें राजद, कांग्रेस और भाकपा के नेता भी शामिल थे।
इस बीच पटना हाईकोर्ट ने मांझी समर्थक चार जेडीयू विधायकों को विधानसभा में मताधिकार देने से रोक दिया है।