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05 June 2024

उत्तर प्रदेश की आरक्षित सीटों पर भी भाजपा को जबरदस्त झटका, आधी से अधिक सीटें विपक्ष ने जीतीं

उत्‍तर प्रदेश में पिछले दो आम चुनावों से अनुसूचित जाति (दलित) के लिए आरक्षित लोकसभा सीटों पर श्रेष्ठ प्रदर्शन करती आ रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को ताजा चुनाव परिणामों में इन सीटों पर भी जबरदस्त झटका लगा है।

राज्‍य में लोकसभा की 80 सीटों में से दलितों के लिए आरक्षित 17 सीटों में से इस बार विपक्षी दलों ने नौ सीटों पर जीत हासिल कर भाजपा की बढ़त रोक दी।

फैजाबाद (अयोध्या) की सामान्य सीट पर जब सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने नौ बार के विधायक और दलित समाज से आने वाले अवधेश प्रसाद को उम्मीदवार घोषित किया तो लोग चौंके थे, लेकिन प्रसाद ने वहां दो बार के सांसद व पूर्व मंत्री लल्‍लू सिंह को पटखनी दे दी।

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आरक्षित सीटों में सपा ने सात, कांग्रेस ने एक और दलित राजनीति के नये सूरमा आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने भी एक सीट (नगीना) जीत ली। यह अलग बात है कि दलितों की बुनियाद पर कभी सियासत और सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने वाली मायावती की अगुवाई वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अपना खाता भी नहीं खोल सकी।

इस करारी हार के पीछे बसपा के एक कार्यकर्ता का कहना था, '' ऐन चुनाव के बीच में ही बहन जी (मायावती) द्वारा अपने भतीजे और उत्तराधिकारी आकाश आनन्‍द को सभी पदों से हटाये जाने की घोषणा करने से हमें नुकसान उठाना पड़ा है।''

भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में सभी आरक्षित 17 सीटों पर एकतरफा जीत दर्ज की थी लेकिन उसे 2019 में इन 17 सीटों में से सिर्फ नगीना और लालगंज सीटें बसपा के हाथों गंवानी पड़ी थी। शेष 14 सीटें भाजपा ने खुद और राबर्ट्सगंज की एक सीट भाजपा के सहयोगी अपना दल (एस) ने जीती थी।

2024 के आम चुनाव में भाजपा को बुलंदशहर, हाथरस, आगरा, शाहजहांपुर, हरदोई, मिश्रिख, बांसगांव और बहराइच कुल आठ आरक्षित सीटों पर ही जीत मिली है।

वहीं राबर्ट्सगंज, मछलीशहर, लालगंज, कौशांबी, जालौन, मोहनलालगंज और इटावा सीटें सपा ने जीतीं। बाराबंकी से कांग्रेस और नगीना से आजाद समाज पार्टी को विजय मिली है। बांसगांव सीट पर भाजपा के कमलेश पासवान तो मात्र 3150 मतों के अंतर से विजयी घोषित हुए। वहीं, मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर (मोहनलालगंज) और भानु प्रताप वर्मा (जालौन) जैसे दिग्गज नेताओं को भी इस बार हार का सामना करना पड़ा।

आधी से अधिक आरक्षित सीटों पर विपक्षी दलों का कब्जा होने से राजनीतिक समीक्षक दावा करने लगे हैं कि भाजपा आरक्षित सीटों पर प्रबंधन के मामले में फेल हो गयी।

बाबा साहब अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ के इतिहास विभाग के प्रोफेसर और ''लोकतंत्र में जाति और राजनीति'' पुस्तक के लेखक डॉक्टर सुशील पांडेय ने 'पीटीआई-' से कहा, ''अभी इसमें तात्कालिक निर्णय देना जल्दबाजी होगी, लेकिन इससे इंकार नहीं किया जा सकता है कि भाजपा के प्रत्याशी चयन को लेकर मतदाताओं की नाराजगी और विपक्षी दलों द्वारा संविधान बचाओ, आरक्षण की हिफाजत और राशन की मात्रा बढ़ाने का नारा देने से दलितों का आकर्षण विपक्षी दलों की ओर बढ़ा है।''

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TAGS: BJP, reserved seats, Uttar Pradesh, opposition Party won, more than half seats
OUTLOOK 05 June, 2024
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