लोकसभा चुनाव में नहीं खुला बसपा का खाता, मायावती ने मुसलमानों को लेकर कही ये बड़ी बात
लोकसभा चुनावों में मामूली बढ़त हासिल करने के बाद, बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने बुधवार को कहा कि पार्टी द्वारा चुनावों में 'उचित प्रतिनिधित्व' दिए जाने के बावजूद, मुस्लिम समुदाय बसपा को समझने में सक्षम नहीं रहे।
उन्होंने कहा कि आगे चलकर पार्टी काफी सोच-विचार के बाद ही समुदाय को चुनावी मौका देगी।
गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भी बसपा अपना खाता खोलने में नाकाम रही थी। हालांकि, उसे 2019 में 10 सीटें मिलीं, जो उसने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में लड़ी थीं।
मायावती ने एक बयान में कहा कि उनकी पार्टी हार का 'गहरा विश्लेषण' करेगी और पार्टी के हित में जो भी जरूरी कदम होंगे, उठायेगी। उन्होंने पार्टी का समर्थन करने के लिए दलित समुदाय, खासकर जाटवों का आभार व्यक्त किया, लेकिन मुसलमानों के प्रति अपनी नाराजगी भी व्यक्त की।
उन्होंने कहा, ''बहुजन समाज पार्टी का अहम हिस्सा मुस्लिम समाज पिछले चुनावों और इस बार लोकसभा आम चुनाव में भी उचित प्रतिनिधित्व दिए जाने के बावजूद बसपा को ठीक से समझ नहीं पा रहा है।''
मायावती ने कहा, ''ऐसे में पार्टी काफी सोच-विचार के बाद उन्हें चुनाव में मौका देगी ताकि भविष्य में पार्टी को इस बार की तरह भारी नुकसान न उठाना पड़े।''
हालिया आम चुनाव में बसपा ने सबसे ज्यादा 35 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। उन्होंने कहा कि चूंकि नतीजे आ चुके हैं, इसलिए यह देश के भावी नेताओं पर निर्भर है कि वे देश के लोकतंत्र, उसके हित और संविधान के बारे में सोचें।
मायावती ने अत्यधिक गर्मी में चुनाव कराए जाने पर भी आपत्ति जताई और लंबी चलने वाली चुनाव प्रक्रिया के खिलाफ तर्क दिया, जो आम लोगों के साथ-साथ चुनाव ड्यूटी पर तैनात लाखों सरकारी कर्मचारियों के लिए थकाऊ हो सकता है।
उन्होंने कहा कि चुनाव अधिक से अधिक तीन या चार चरणों में होना चाहिए।