महाराष्ट्र में खोई जमीन वापस पाने के लिए निकाय चुनावों में अकेले लड़ने का मन बना रही कांग्रेस
महाराष्ट्र में इस वर्ष के अंत में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग चाहता है कि पार्टी राज्य के उन ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में अकेले चुनाव लड़कर अपनी खोई हुई जमीन वापस हासिल करे, जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बहुत तेजी से अपनी स्थिति मजबूत कर रही है।
कभी राज्य की सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस वर्तमान में शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा)-शरदचंद्र पवार और उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (उबाठा) के साथ विपक्षी महाविकास अघाडी (एमवीए) का घटक दल है।
शिवसेना (उबाठा) की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के साथ नजदीकियों ने प्रतिद्वंद्वियों और सहयोगियों के बीच बेचैनी पैदा कर दी है।
बड़ी संख्या में पार्टी नेताओं का मानना है कि कांग्रेस को दोतरफा दृष्टिकोण अपनाने पर विचार करना चाहिए, जिसमें पहला अपनी संगठनात्मक ताकत का पता लगाने के लिए स्वतंत्र रूप से स्थानीय चुनाव लड़ना और अगर आवश्यक हो तो चुनाव के बाद गठबंधन की संभावना तलाशना शामिल है।
महाराष्ट्र की कांग्रेस इकाई का बड़ा वर्ग चाहता है कि कांग्रेस कई नगर निकायों में अकेले चुनाव लड़े और चुनाव के बाद गठबंधन के लिए बातचीत के दरवाजे खुले रखे लेकिन इस पर अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व को करना है।
पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों का कहना है कि इस मॉडल को मुंबई, नागपुर, पुणे और नासिक जैसे राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शहरी केंद्रों सहित नगर निगमों, नगर परिषदों, जिला परिषदों और पंचायत समितियों में अपनाया व दोहराया जाना चाहिए।
महाराष्ट्र के 29 नगर निगमों, 248 नगर परिषदों, 32 जिला परिषदों और 336 पंचायत समितियों के चुनाव इस वर्ष के अंत में या अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले हैं। ये चुनाव 2029 में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में सबसे बड़ी चुनावी कवायद हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शिवाजीराव मोघे ने ‘पीटीआई-’ से कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने का एक साधन है।