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31 March 2015

आप नेताओं का निष्कासन डराने वाला: शिवसेना

पीटीआइ

केजरीवाल की आलोचना करते हुए शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया है कि आपातकाल के बाद जनता पार्टी भी इंदिरा गांधी को हराने के उपरांत सत्ता में आई थी लेकिन कई छोटे-छोटे राजनीतिक दलों का यह समूह बाद में बिखर गया।

इसमें सवाल किया गया है, आप और अन्य दलों में क्या फर्क है? जिस प्रकार से भूषण और यादव को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाला गया वह डरावना है। उनका अपराध केवल यही था कि उन्होंने केजरीवाल का विरोध किया।

दैनिक में लिखा गया है कि दोनों ने पूरे मन से केजरीवाल का समर्थन किया था। भूषण ने कई गलत कामों का पर्दाफाश किया तो वहीं यादव अपनी राजनीतिक पकड़ को लेकर प्रसिद्ध थे। जनता पार्टी से आप की समानता करते हुए सामना में कहा गया है कि ऐसा लगता है कि नियति आप को उसी पार्टी के अंत की ओर लेकर जा रही है जिसने अपने सहयोगियों के साथ छठी लोकसभा का चुनाव जीता था।

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सामना लिखता है, आपातकाल की अवधि के बाद, लोगों को जनता पार्टी से बड़ी उम्मीदें थीं। सत्ता में आने के बाद जिस प्रकार जनता पार्टी टूट गई, केजरीवाल की नियति भी लगता है उन्हें उसी रास्ते पर लेकर जा रही है। शिवसेना ने कहा कि केजरीवाल की पार्टी में जो कुछ हो रहा है, उसे देखते हुए उन्हें अन्य लोगों को राजनीति के बारे में उपदेश नहीं देना चाहिए।

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TAGS: प्रशांत भूषण, योगेन्द्र यादव, शिवसेना, मुखपत्र सामना, अरविंद केजरीवाल, इंदिरा गांधी, जनता पार्टी
OUTLOOK 31 March, 2015
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