‘पिता की सजा बच्चों को नहीं दे सकते’ -हिजबुल सरगना के बेटे सरकारी नौकरी से हुए बर्खास्त तो भड़कीं महबूबा
जम्मू-कश्मीर में आतंकी संगठनों से संबंध रखने के आरोपों के बाद 11 लोगों को सरकारी नौकरियों से बर्खास्त कर दिया गया है और उनके खिलाफ जांच के आदेश जारी किए गए हैं। इनमें हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर सैयद सलाहुदीन के दो बेटे भी शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने इस पर सवाल उठाए हैं।
महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को कहा मैं किसी का समर्थन नहीं करती हूं। लेकिन आप पिता के कामों के लिए उसके बच्चों को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते, जब तक कि आपके पास कोई सबूत न हो। उन्होंने कहा कि सरकार ने सिर्फ इन 11 लोगों को ही नहीं हटाया है बल्कि इस साल 20 से 25 लोगों को नौकरी से बाहर किया है।
असल में महबूबा मुफ्ती ने रविवार को एक ट्वीट किया था, जिसे लेकर विवाद छिड़ गया। उस पर सफाई देते हुए ही उन्होंने यह बात कही। मुफ्ती ने ट्वीट किया था, 'सरकार छद्म राष्ट्रवाद के नाम पर लगातार जम्मू-कश्मीर के लोगों को कमजोर कर रही है। संविधान को ताक पर रखकर ऐसा किया जा रहा है। बिना किसी आधार के 11 सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से हटाना अपराध है। जम्मू-कश्मीर को लेकर जो भी फैसले लिए जा रहे हैं, वह कश्मीर के लोगों को दंडित करने के एकमात्र उद्देश्य से लिए जा रहे हैं।'
महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर इसे उत्पीड़न करार दिया है। उन्होंने कहा, 'मैं हमेशा यह बात कही है। आप किसी एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकते हैं, लेकिन विचार को खत्म नहीं कर सकते। आपको उस विचार को संबोधित करना होगा, जैसा वाजपेयी ने किया था।'
पीडीपी मुखिया महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर अनुच्छेद-370 और 35-ए की बहाली की बात दोहराई है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद-370, 35-ए और डोमिसाइल कानून विदेशी मुल्क के द्वारा नहीं दिए गए थे। इससे पहले कि राष्ट्र हमें ये देता, महाराजा हरि सिंह इसे जम्मू-कश्मीर के लोगों की पहचान की रक्षा के लिए लाए थे। उन्होंने कहा था कि हमारे पास ये कानून हैं जिन्हें बरकरार रखना है।
मुफ्ती ने कहा कि लेकिन इन कानूनों के निरस्त होने के बाद ऐसा लगता है कि इसके पीछे एकमात्र मकसद जम्मू-कश्मीर को लूटना था। चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स में बाहर के लोगों को शीर्ष स्थान दिया जा रहा है, हमारा पानी और बिजली बाहर जाती है। हमारे ट्रांसपोर्टर मुश्किल में हैं। उन्हें टोल टैक्स देना होगा।