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11 September 2019

कल्याण सिंह माने यूपी में भाजपा, उस दौर से सीबीआई रडार तक की ये है कहानी

File Photo

राजस्थान के राज्यपाल पद का कार्यकाल पूरा करने के बाद, विवादित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरने के मामले में कल्याण सिंह मुश्किलों में घिरते नजर आ रहे हैं। भाजपा की सदस्यता लेते ही 27 साल पुराने मामले के मुख्य आरोपी कल्याण सिंह इस मामले में एक बार फिर सीबीआई के निशाने पर आ गए हैं। बता दें कि सीबीआई ने कल्याण सिंह को समन जारी करने लिए कोर्ट का रुख किया था। दरअसल, यह पहले से ही स्पष्ट था कि कल्याण सिंह के संवैधानिक पद से हटने के बाद विवादित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराने के मामले में आपराधिक षड्यंत्र के लिए उन्हें मुकदमे का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि इस संवैधानिक पद के साथ उन्हें जो छूट मिली हुई थी वह अब उनका कार्यकाल पूरा होने के बाद खत्म हो गई है।  

कल्याण सिंह पर ये हैं आरोप

कल्याण सिंह इस मामले में प्रमुख आरोपी के तौर पर जाने जाते हैं। कल्याण सिंह पर आरोप है कि जिस समय बाबरी ढांचा गिराया गया था, उस समय उन्होंने ढांचे को बचाने के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम नहीं किया। आरोप है कि उन्होंने ऐसा साजिशके तहत किया। हालांकि कल्याण सिंह ने अपने ऊपर लगे इस आरोप से इनकार किया। उन्होंने कहा कि ढांचे की सुरक्षा के लिए उन्होंने तत्कालीन केंद्र सरकार से मदद मांगी थी, लेकिन सही समय पर केंद्रीय सुरक्षाबल उन्हें नहीं मिल पाया जिसके कारण ढांचे को नहीं बचाया जा सका।

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बीजेपी का असली हिंदू हृदय सम्राट हैं सिंह

देखा जाए तो कल्याण सिंह एक ऐसे शख्स हैं, जिसने एक दौर में हिंदुत्व के नाम पर अपनी सत्ता को बलि चढ़ा दिया था। राम मंदिर के लिए सिंह ने अपनी सत्ता ही नहीं गंवाई, बल्कि इस मामले में वह आरोपी हैं। यही वजह है कि 'कारसेवक' कल्याण सिंह को बीजेपी का असली हिंदू हृदय सम्राट मानते हैं। बीजेपी के कद्दावर नेताओं में शुमार होने वाले कल्याण सिंह एक दौर में राममंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरों में से एक थे। उनकी पहचान कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी और प्रखर वक्ता की थी।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कल्याण सिंह को लेकर कही थी ये बात

बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल 2017 को भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र के आरोप फिर से बहाल करने का आदेश देते हुए यह भी स्पष्ट किया था कि 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे सिंह को मुकदमे का सामना करने के लिए आरोपी के तौर पर बुलाया नहीं जा सकता, क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपालों को संवैधानिक छूट मिली हुई है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से सिंह को राज्यपाल पद से हटने के तुरंत बाद आरोपी के तौर पर पेश करने के लिए कहा था।

क्या है अनुच्छेद 361, जिसके तहत राष्ट्रपति और राज्यपाल को मिलती है राहत

संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राष्ट्रपति और राज्यपालों को उनके कार्यकाल के दौरान आपराधिक तथा दीवानी मामलों से छूट प्रदान की जाती है। इसके अनुसार, कोई भी अदालत किसी भी मामले में राष्ट्रपति या राज्यपाल को समन जारी नहीं कर सकती।

पिछले दिनों इस घटनाक्रम से जुड़े एक सूत्र ने बताया था, 'चूंकि राज्यपाल के रूप में सिंह का कार्यकाल खत्म हो गया है तो उन्हें मुकदमे का सामना करना पड़ सकता है, बशर्ते कि सरकार उन्हें किसी अन्य संवैधानिक पद पर नियुक्त न कर दे।' हालांकि राजस्थान के राज्यपाल के रूप में कार्यकाल खत्म होने बाद अब सिंह ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। कल्याण सिंह सोमवार (9 सितंबर) को फिर से सक्रिय राजनीति में उतर आए हैं।

क्या है पूरा मामला

कल्याण सिंह को तीन सितंबर 2014 को पांच साल के कार्यकाल के लिए राजस्थान का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। सिंह के खिलाफ सीबीआई के मामले के अनुसार, सिंह ने उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री रहते हुए राष्ट्रीय एकता परिषद को आश्वासन दिया था कि वह विवादित ढांचे को ढहाने नहीं देंगे और सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थल पर केवल सांकेतिक 'कार सेवा' की अनुमति दी थी। साल 1993 में कल्याण सिंह के खिलाफ सीबीआई के आरोपपत्र के बाद 1997 में लखनऊ की एक विशेष अदालत ने एक आदेश में कहा था, 'सिंह ने यह भी कहा था कि वह सुनिश्चित करेंगे कि ढांचा पूरी तरह सुरक्षित रहे और उसे ढहाया न जाए, लेकिन उन्होंने कथित तौर पर अपने वादों के विपरीत काम किया।'

सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया था कि कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री के तौर पर केंद्रीय बल का इस्तेमाल करने का आदेश नहीं दिया। विशेष अदालत ने कहा था, 'इससे प्रथम दृष्टया यह मालूम पड़ता है कि वह आपराधिक षडयंत्र में शामिल थे।'

तब कल्याण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे

1992 में जब अयोध्या के विवादित ढांचा गिराया गया तब कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले में 19 अप्रैल, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्यगोपाल दास और उमा भारती के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोपों में मुकदमा चलाने का आदेश दिया था। इससे पहले 3 सितंबर, 2014 को राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया था। राज्यपाल होने की वजह से कल्याण सिंह मुकदमे का सामना करने से बच गए थे। इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती ,साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्यगोपाल दास जमानत पर चल रहे हैं।

 

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TAGS: Former Governor of Rajasthan, Kalyan Singh, increased, troubles, face trial, know the matter
OUTLOOK 11 September, 2019
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