सीएए को लेकर जदयू में बखेड़ा: पवन वर्मा के बयान के बाद बोले नीतीश- जिसको जहां जाना है, जाएं
आठ फरवरी को होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी से गठबंधन करने पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार को अपनी ही पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) का विरोध झेलना पड़ रहा है। एक तरफ पार्टी के वरिष्ठ नेता पवन वर्मा ने खुले तौर पर नीतीश के बिहार से बाहर बीजेपी के साथ गठबंधन की कड़ी आलोचना की है। तो वहीं जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने पवन वर्मा के सार्वजनिक तौर पर जवाब मांगे जाने को अनुचित बताया है। वहीं, अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पवन किसी भी पार्टी में जाने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन सार्वजनिक रूप से इस तरह की बयानबाजी ठीक नहीं है। इसे नीतीश कुमार के अपने नेताओं को अल्टिमेटम की तरह देखा जा रहा है, जो पिछले कई दिनों से नागरकिता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी को लेकर सवाल कर रहे हैं।
'कुछ लोगों के बयान पर मत जाइए, हमारा रुख साफ है’
पवन कुमार वर्मा की चिट्ठी पर प्रतिक्रिया देते हुए नीतीश कुमार ने कहा, 'वह किसी भी पार्टी में जा सकते हैं। लेकिन सार्वजनिक रूप से इस तरह के बयान हैरान करने वाले हैं।' नीतीश ने कहा, 'कुछ लोगों के बयान पर मत जाइए, हमारा रुख साफ है। मैं किसी के बयान से प्रभावित नहीं होता हूं।' बता दें कि जेडीयू नेता पवन कुमार वर्मा ने मंगलवार को सीएए और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के अलावा दिल्ली चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन करने पर नीतीश कुमार से विस्तृत बयान देने की मांग की थी।
नीतीश को खत लिखकर मांगा था जवाब
पवन वर्मा ने जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार को पत्र लिखकर दिल्ली में बीजेपी के साथ गठबंधन पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने पटना हवाई अड्डे पर कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन के मद्देनजर पार्टी द्वारा वैचारिक स्पष्टता की जरूरत है। नीतीश को लिखे दो पेज के लेटर को ट्विटर पर साझा करते हुए पवन ने कहा था, 'लेटर के माध्यम से मैंने पूछा है कि विभाजनकारी सीएए, एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ बड़े पैमाने पर राष्ट्रव्यापी आक्रोश के बावजूद जेडीयू ने दिल्ली चुनाव के लिए बीजेपी के साथ कैसे गठबंधन किया।'
‘एनआरसी को बिहार में लागू नहीं किया जाएगा’
पवन ने कहा था कि नीतीश कुमार ने कहा है कि एनआरसी को बिहार में लागू नहीं किया जाएगा, जबकि उन्होंने माना है कि एनपीआर और सीएए पर और चर्चा किए जाने की जरूरत है। उन्होंने अपने पत्र का जिक्र करते हुए कहा था, 'वह (नीतीश) विस्तृत बयान दें, जिससे विचारधारा स्पष्ट हो। बीजेपी के साथ लंबे समय से गठबंधन करने वाली पुरानी पार्टी अकाली दल ने इस कानून (सीएए) की वजह से दिल्ली विधानसभा चुनाव में गठबंधन नहीं किया तो जेडीयू के आगे ऐसा करने की क्या मजबूरी थी?'
नीतीश को दिलाई थी आरएसएस मुक्त भारत के नारे की याद
पवन वर्मा ने नीतीश कुमार को संबोधित करते हुए अपने पत्र में लिखा था, 'महागठबंधन का नेतृत्व करते हुए आपने आरएसएस मुक्त भारत का नारा दिया था। 2017 में फिर से बीजेपी के साथ जाने के बावजूद आप व्यक्तिगत स्तर पर मानते रहे थे कि बीजेपी के विचारों में कोई परिवर्तन नहीं आया है। आपके निजी विचार जो मुझ तक पहुंचे उसमें यही संदेश था कि बीजेपी ने संस्थाओं को नुकसान पहुंचाने का काम किया है।'
लगातार उठा रहे थे सवाल
जेडीयू ने संसद में सीएए के पक्ष में वोट डाला था। इसके बावजूद पवन वर्मा पार्टी लाइन से इतर जाते हुए पिछले कुछ दिनों से लगातार इसके खिलाफ बयान दे रहे थे। बता दें कि इस मुद्दे पर पार्टी लाइन से इतर जाने पर जेडीयू के अंदर से भी विरोध के स्वर उठने लगे थे, लेकिन सीएम नीतीश ने इस मसले पर अपना रुख स्पष्ट कर साफ संदेश दे दिया है। इसके अलावा प्रशांत किशोर भी सीएए को लेकर लगातार हमलावर रहे हैं। यहां तक कि उन्होंने खुलेआम इस मुद्दे पर कई विपक्षी दलों का समर्थन भी किया था।
नीतीश कुमार को लिखे पत्र पर क्या बोले जदयू के प्रदेश अध्यक्ष
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने मीडिया को संबोधित करते हुए बुधवार को कहा था कि जब भी पार्टी की बैठक होगी वे इस बात को मजबूती के साथ उठाएंगे। उन्होंने पवन वर्मा के जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के सीएम नीतीश कुमार को लिखे पत्र को ट्विटर पर साझा किए जाने पर एतराज जताया। उन्होंने कहा था कि वे इस तरह के बयान को अनुचित मानता हैं। जब भी पार्टी की बैठक होगी मैं इस बात को मजबूती के साथ उठाएंगे।
लंबे अरसे से बीजेपी से है गठबंधन
वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि सभी को पता है कि बिहार में लंबे अरसे से गठबंधन चल रहा है जिसके तहत जदयू, भाजपा और लोजपा एक साथ काम कर रही है। उन्होंने पवन के बयान को चर्चाओं में बने रहने के लिए दिया गया बयान बताते हुए आलोचना की है। उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति फैसला कर लेता है तो इस तरह के बयान आते हैं, ऐसे में उन्हें कोई कैसे रोक सकता है वे कोई कदम उठाने के लिए स्वतंत्र हैं। इस बीच बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने पवन का समर्थन करते हुए कहा कि नीतीश कुमार को अपनी पार्टी के भीतर और जनता के बीच भी अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए ।
सीएए को लेकर प्रशांत किशोर ने भी उठाए थे सवाल
बता दें कि जेडीयू में प्रशांत किशोर को शामिल करने और उनकी ताकत बढ़ाने के पीछे पवन वर्मा को ही माना जाता है। राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा आम है कि जेडीयू के कई नेता प्रशांत किशोर को पार्टी में शामिल करने पर सहमत नहीं थे, लेकिन वर्मा ने उस वक्त उनका साथ दिया। हालांकि, इस वक्त खुद वर्मा और प्रशांत किशोर दोनों ही पार्टी में हाशिये पर चल रहे हैं। प्रशांत किशोर की कंपनी ने तो अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के चुनाव प्रचार का जिम्मा भी संभाल रखा है।