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03 December 2023

एबीवीपी से लेकर मुख्यमंत्री पद के दावेदार तक: रेवंत रेड्डी की राजनीतिक यात्रा में रहे उतार-चढ़ाव

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाले अनुमूला रेवंत रेड्डी को अब राज्य के भावी मुख्यमंत्री के रूप में देखा जा रहा है।

भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव के मुखर आलोचक और तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रेड्डी (56) अक्सर बीआरएस और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के राजनीतिक हमलों का शिकार रहे हैं।

बीआरएस नेता उन पर पार्टी बदलने के लिए निशाना साधते रहे हैं। 2015 के ‘नोट के बदले वोट’ मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया था और उस समय उन्हें तेलुगूदेशम पार्टी के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू का ‘एजेंट’ बताया गया था।

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एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी उनकी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध छात्र संगठन एबीवीपी की पृष्ठभूमि को लेकर उन पर निशाना साधते रहे हैं। रेड्डी पहले कुछ समय के लिए बीआरएस (तब तेलंगाना राष्ट्र समिति) में रह चुके हैं। वह 2006 में जिला परिषद चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीते थे। वह 2007 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अविभाजित आंध्र प्रदेश में विधान परिषद में निर्वाचित हुए।

रेड्डी तेलुगूदेशम पार्टी (तेदेपा) में शामिल हो गए थे और पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के करीबी थे। उन्होंने 2009 में तेदेपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीता था और 2014 में तेलंगाना के अलग राज्य बनने पर भी उन्होंने चुनाव में जीत दर्ज की थी।

वह 2015 में विधान परिषद चुनाव में एक विधायक को तेदेपा के पक्ष में मतदान करने के लिए रिश्वत देने की कोशिश करते हुए कथित रूप से कैमरे में कैद हो गए थे।

रेड्डी को हैदराबाद की एक जेल भेज दिया गया और बाद में उन्हें जमानत मिल गई। वह 2018 के विधानसभा चुनाव में बीआरएस उम्मीदवार से हार गए थे। उन्होंने तेदेपा छोड़कर 2017-18 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की उपस्थिति में दिल्ली में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी।

रेड्डी 2019 के लोकसभा चुनाव में तेलंगाना की मल्काजगिरि संसदीय सीट से कांग्रेस सांसद के रूप में निर्वाचित हुए। रेड्डी को 2021 में कांग्रेस में ‘जूनियर’ नेता होने के बावजूद प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई। इससे प्रदेश कांग्रेस इकाई में अनेक वरिष्ठ नेता असंतुष्ट दिखे। रेड्डी के सामने चुनौतीपूर्ण हालात के बीच कांग्रेस का भविष्य संवारने का कठिन कार्य था और वह पार्टी नेताओं को एकजुट करने में लग गए।

तेलंगाना में 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के 12 विधायकों का 2019 में बीआरएस में शामिल हो जाना भी रेड्डी के लिए असहज करने वाला घटनाक्रम था। तेलंगाना में बंडी संजय कुमार को भाजपा की कमान मिलने के बाद 2020 और 2021 में दो विधानसभा उपचुनावों और ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में भगवा दल को बड़ी सफलता मिली और कांग्रेस को एक बार फिर झटका लगा।

हालांकि रेड्डी कड़ी चुनौतियों के बावजूद कांग्रेस को सफलता दिलाने की मशक्कत करते रहे और इस साल मई में कर्नाटक चुनाव के बाद कांग्रेस को थोड़ी ऊर्जा मिली।

इसके बाद तेलंगाना की जनता में कांग्रेस को लेकर धारणाएं बदलने के साथ पार्टी का ग्राफ बढ़ता दिखाई दिया। मुख्यमंत्री केसीआर की बेटी के. कविता पर दिल्ली आबकारी नीति मामले में लगे आरोपों ने भी कांग्रेस को बल प्रदान किया।

फुटबॉल प्रेमी रेड्डी को राहुल गांधी और कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डी शिवकुमार का करीबी माना जाता है। वह विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन के मद्देनजर मुख्यमंत्री बन सकते हैं।

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TAGS: ABVP, Chief Ministerial contender, Ups and downs, Revanth Reddy, Political journey
OUTLOOK 03 December, 2023
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