अब गैमलिन ने लगाए आप के मंत्री पर आरोप
नई दिल्ली। दिल्ली के प्रशासनिक नियंत्रण को लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच चल रही जंग में रोजाना नया मोड़ आ रहा है। अब वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शकुंतला गैमलिन ने दिल्ली के उद्योग मंत्री सत्येन्द्र जैन के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए उपराज्यपाल से शिकायत की है। गैमलिन का आरोप है कि जैन उन पर औद्योगिक भूखंडों को लीजहोल्ड से फ्रीहोल्ड में तब्दील करने का दबाव डाल रहे हैं। गौरतलब है कि गैमलिन को कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्ति करने की वजह से ही उपराज्यपाल और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल में टकराव बढ़ा था। इससे पहले सत्येंद्र जैन भी गैमलिन पर बिजली कंपनियों की लॉबिंग के आरोप लगा चुके हैं।
उपराज्यपाल नजीब जंग को लिखे पत्र में गैमलिन ने आरोप लगाया कि उक्त भूमि दिल्ली सरकार के अधिकार में नहीं आने के बावजूद उद्योग मंत्री उन पर एक कैबिनेट नोट भेजने का लगातार दबाव डाल रहे हैं, जिसमें औद्योगिक भूमि को लीजहोल्ड से फ्रीहोल्ड में तब्दील करने का प्रस्ताव हो। जबकि मंत्री के संज्ञान में यह बात लाई जा चुकी है कि यह मामला दिल्ली सरकार के दायरे में नहीं आता और इसके कानूनी नतीजे हो सकते हैं। इससे पहले आप सरकार ने गैमलिन पर बिजली कंपनियों को 11 हजार करोड़ रूपये का कर्ज दिलवाने में मदद करने का आरोप लगाया था।
वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने यह भी कहा कि नियमों के तहत राज्य सरकार किसी भी तरह भूमि के प्रशासन में शामिल नहीं है। एेसे मामलों में उपराज्यपाल डीडीए के अध्यक्ष होने की हैसियत से डीडीए की सलाह पर कार्रवाई करते हैं। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने 1961 में दिल्ली में जमीन के अधिग्रहण, विकास और लीज प्रशासन के लिए एक नीति बनायी थी। इस तरह अधिग्रहीत जमीन नाजुल भूमि कहलाती है और इसे भारत के राष्ट्रपति के नाम पर रखा जाता है। इसके प्रबंधन के अधिकार उपराज्यपाल के पास निहित हैं।
भाजपा ने उठाई जांच की मांग
भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग से अनुरोध किया है कि वह वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शंकुतला गैमलिन द्वारा उद्योग मंत्री सत्येन्द्र जैन के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर जांच के आदेश दें। दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा कि जैन के प्रयासों के बेनकाब होने से यह पूर्णत: स्पष्ट हो गया है कि अरविंद केजरीवाल सरकार शकुंतला गैमलिन को कार्यवाहक मुख्य सचिव बनाये जाने के पूरी तरह खिलाफ क्यों थी। क्योंकि उन्होंने सरकार के गैर कानूनी कृत्यों का पूर्व में विरोध किया था।